खुसूर-फुसूर हैरान परेशान वर्दीधारी
खुसूर-फुसूर
हैरान परेशान वर्दीधारी
पहले से ही काम के बोझ तले दबे वर्दीधारियों का बोझ बढता ही जा रहा है। हाल यह हैं कि एक दिन में दो दिन का काम करना पड रहा है उस पर भी साल के अंतिम माह में पेंडिंग का टेंशन बढता जा रहा है और आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और प्रबंधन से धडकन बढ रही है। बराबर काम के बोझ का मारा वर्दीधारी अब निढाल सा होने लगा है। शहर में विश्व की श्रद्धा के केंद्र से निरंतर वीवीआईपी मूवमेंट बढा है। इसके साथ ही प्रदेश के मुखिया का गृह नगर होने से काम का प्रेशर भी बढा है। विभाग के मुखिया के आदेश के पालन में शाम 6 से रात 12 तक सडकों पर निकलकर जांच का काम भी बराबर करना पड रहा है। इस पर साल भर में जो काम पेंडिंग रह गए उनका निकाल भी करना ही है अन्यथा सजा मिलना तय है। इसके साथ ही अपराध नियंत्रण और होने वाले अपराधों के निकाल में अपनी भूमिका का निर्वहन करना ही है। इसके साथ ही अब मंगल-शुक्र को परेड और बलवा रिहर्सल भी करना ही होगी। ऐसे में वर्दीधारी हैरान परेशान और निढाल से हैं। खुसूर-फुसूर है कि खाना खाने की फुर्सत नहीं मिल पा रही है। घर परिवार पर ध्यान देना मुश्किल हो गया है। अपनों में ही पराए से हो रहे हैं। काम के बोझ से परेशान हो रहे हैं।केंद्रों में पर्याप्त संख्या नहीं है। एक वर्दीधारी दो के काम करने पर मजबूर है। इस पर एक और बोझ निढाल किए जा रहा है।