खुसूर-फुसूर नायब साहब के अजीज आधुनिक ग्राम देवता
खुसूर-फुसूर
नायब साहब के अजीज आधुनिक ग्राम देवता
यूं तो आधुनिक ग्राम देवता का कोई तोड नहीं है। उनके लिए गांव में कहावत कही जाती है कि एक बार गांव में उनके आने के दौरान कुत्ता पीछे लग गया। आधुनिक ग्राम देवता को दौड लगाकर एक पेड पर चढकर कुत्ते से बचना पडा। पेड के नीचे कुत्ता भौंक रहा था और पेड पर चढे ग्राम देवता ने आंखे तरेर कर उसकी और देखते हुए कहा अगर तेरे नाम से एक इंच जमीन भी यहां होती तब तुझे मालूम होता की मैं क्या चीज हुं। ऐसे ही उज्जैन ग्रामीण के अधिकांश आधुनिक ग्राम देवता नायब साहब के अजीज हैं। साहब एक भी ग्राम देवता के बारे में कुछ भी नकारात्मक बात नहीं सुन पाते हैं। मजबूरी में सूनना पडे तो वे ऐसा दर्शाते हैं मानों उन्होंने कुछ सूना ही नहीं। आधुनिक ग्राम देवताओं के प्रति इस विशेष स्नेह को लेकर अन्यानेक वजह हो सकती है। खुसूर-फुसूर है कि अजीज होने वाले आधुनिक ग्राम देवता संकुल के सामने के कार्यालय में जाते ही पूर्ववत हाल में आ गए हैं। न तो यहां की चर्चा दुसरे,तीसरे माले तक जाती है और न ही कोई विशेष फर्क ही पडता है। साहब का अजीज होना सहज नहीं है उसके लिए त्याग और समर्पण करने वाले कर्मठ होना पडता है। उसके बाद तो साब किसी की शिकायत नहीं सूनते हैं।