अन्य दलों से आने वाले सौतेले ही रहेंगे संगठन में, नियम के तहत नहीं बन सकेंगे जिला अध्यक्ष – दो बार के सक्रिय सदस्य और पदाधिकारी ही बन सकेंगे जिला अध्यक्ष

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उज्जैन। भाजपा में अन्य दलों से आए नेता संगठन में सौतेले के हाल में ही रहने वाले हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष बनने के लिए  दो बार सक्रिय सदस्य और पदाधिकारी को ही इसके लिए नियमों के तहत योग्य माना जाएगा। इसके साथ ही अगर किसी कार्यकर्ता पर आपराधिक प्रकरण में सजा हो चुकी है तो उसे भी इसके अयोग्य माना जाएगा।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठन को मजबूत करने के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं। बूथ अध्यक्षों के चुनाव के बाद, इसी 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 31 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों के चुनाव होना है। जिला अध्यक्ष के पदों पर भाजपा के हार्डकोर नेता ही बैठ सकेंगे। वर्ष 2019 के बाद अन्य दलों से भाजपा में आए नेताओं को जिला अध्यक्ष बनने का अवसर इस बार नहीं मिलने वाला है चाहे वे कितने भी सक्षम हों। उन्हें दुसरे तरीके से ही पार्टी में एडजेस्ट रखा जाएगा। इसके अलावा पार्टी के जिन नेताओं ने चुनाव के दौरान पार्टी नेता का विरोध किया था, उन्हे भी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा और जिन पार्टी नेताओं के खिलाफ कोई आपराधिक मामला में दोष सिद्ध पाए गए हैं उन्हें तो मंडल और जिला अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा नहीं मिलेगी।

पार्टी गतिविधियों में शामिल रहे नेता भी नहीं लड़ सकेंगे चुनाव :

भाजपा नेताओं के अनुसार, इसी 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 31 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों के चुनाव होंगे. उक्त दोनों पदों के चुनावों को लेकर यह तय हुआ है कि पार्टी के किसी भी नेता को जिला अध्यक्ष तभी बनाया जा सकेगा, जब वह दो बार का सक्रिय सदस्य हो। दो बार के सक्रिय सदस्य बनने के लिए 2019 में भी सक्रिय सदस्य बनना जरूरी होगा, क्योंकि इसके बाद सक्रिय सदस्यता अभियान नहीं चला और संगठन चुनाव नहीं हुए हैं। इस कारण से अगर अन्य दलों से आए हुए नेता तथा कार्यकर्ता ने 2019 के बाद पार्टी जॉइन की है तो उनकी जिला अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ सकेगा। यानी वह इस चुनाव के दायरे से बाहर हो जाएगा। पार्टी के निती निर्देशों में यह भी बताया जा रहा है कि पार्टी के जिस भी नेता को जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा, वह कम से कम दो बार पार्टी में किसी न किसी पद पर पदाधिकारी रहा हो। दो बार मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष रह चुके लोगों को भी एक ही पद पर रिपीट नहीं किया जाएगा। यानी उसे चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा। यह भी बताया जा रहा है कि पार्टी के मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष वही बन सकेंगे, जिनकी कभी भी निष्ठा संदिग्ध न रही हो. जिस पार्टी नेता या कार्यकर्ता के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है उसे चुनाव लड़ने के अयोग्य माने जाने का निती निर्देश हैं। मंडल और जिले के अध्यक्ष का चुनाव आम सहमति से हो, इसके लिए आम सहमति से ही अध्यक्ष तय करने पर ज़ोर दिया जाएगा। चुनाव कराने के लिए पर्यवेक्षकों को कहा गया है कि वह जिला चुनाव अधिकारियों से लेकर मंडल चुनाव अधिकारियों को आचार संहिता का पाठ पढ़ायेंगे ताकि चुनाव प्रक्रिया संगठन के संस्कार अनुरूप सम्पन्न हों।

-जिलाअध्यक्ष के लिए दो बार का सक्रिय सदस्यता का नियम है। मंडल के लिए ऐसा नियम है देखना पडेगा। आपराधिक दोष सिद्ध मामले में तो पूर्व से ही संगठन सख्त रहा है।

-विवेक जोशी ,अध्यक्ष ,नगर भाजपा,उज्जैन

-संगठन चुनाव निती निर्देश के तहत ही होंगे। जिला अध्यक्ष के लिए दो बार का सक्रिय सदस्य होना आवश्यक है। आपराधिक दोषसिद्ध कार्यकर्ता को मंडल एवं जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे को भी पदाधिकारी नहीं बनाया जाएगा।

-जगदीश अग्रवाल, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं सदस्य प्रदेश अपीलीय समिति संगठन चुनाव

 

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