शिव-राज की कैद में शिव मंदिर..! सीहोर वाले पंडित जी ने भक्तों को ललकारा- चुल्लू भर पानी में डूब मरो, शेरशाह ने मंदिर तोड़कर बना दी थी मस्जिद
रायसेन। सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायसेन किले के मंदिर में लगे ताले को लेकर सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज हैं और उनके राज्य में शिव कैद में हैं, तो राज्य किसी काम का नहीं है। साथ ही उन्होंने रायसेन के लोगों को धिक्कारते हुए कहा था कि शिव मंदिर में ताला डाला है और तुम दिवाली मना रहे हो। अरे.. आसपास कोई तालाब हो तो चुल्लू भर पानी भरकर ले आओ।
इस मंदिर को सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर पर ताला क्यों लगा है? इसके बारे में बताया जाता है कि …
रायसेन किले में 800 फीट ऊंचाई पर बने सोमेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इसे परमारकालीन राजा उदयादित्य ने बनवाया था। उस दौर में राजघराने की महिलाएं मंदिर में पूजा-अर्चना करने आती थीं। मंदिर में भगवान शंकर के 2 शिवलिंग स्थापित हैं।
क्यों लगा है मंदिर पर ताला
पुरातत्वविद राजीव लोचन चौबे के अनुसार सन् 1543 तक यह स्थान मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित रहा। इसके बाद रायसेन के राजा पूरणमल को शेरशाह ने हरा दिया। उसके शासनकाल में यहां से शिवलिंग हटाकर मस्जिद बना दी गई, लेकिन गर्भगृह के ऊपर गणेश जी की मूर्ति सहित अन्य चिन्ह स्थापित रहे। इससे यह स्पष्ट साबित होता है कि यह मंदिर है।
आजादी के बाद से सन् 1974 तक मंदिर पर ताले लगे रहे। फिर उस दौरान एक बड़ा आंदोलन हुआ था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद सेठी ने खुद मंदिर के ताले खुलवाए थे। उस दौरान केके अग्रवाल यहां के कलेक्टर थे। आंदोलन के बाद से मंदिर के पट साल में एक बार महाशिवरात्रि पर 12 घंटे के लिए खोले जाते हैं। इस दिन यहां मेले का आयोजन भी होता है।