जनऔषधि केंद्र बनाम हकीकत में जितना लाभ मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा कई दवाईयां नहीं मिलती,सर्जिकल आयटम में बाजार में प्रतिस्पर्धा -समय पर सप्लाय नहीं मिलने से कुछ पुराने स्टोर बंद की स्थिति में

उज्जैन। जनऔषधि केंद्र बनाम हकीकत का लाभ आम जन को स्टोर एवं सप्लाय के बीच की बाधा से नहीं मिल पा रहा है। कई दवाईयां प्रचलन में ज्यादा नहीं होने से स्टोर वाले नहीं मंगवाते हैं तो सर्जिकल आयटम में बाजार में जमकर प्रतिस्पर्धा के हाल होने से आमजन को यहां लाभ नहीं मिल पा रहा है। फार्मास्यूटिकल मेडिकल डिवायसेस ब्यूरो आफ इंडिया देश भर के केंद्रों को सप्लाय का काम देखता है।केंद्र सरकार ने सस्ती दर पर लोगों को जैनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाने की उद्देश्य से जगह-जगह प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र  की शुरुआत की थी। शहर में 2019 के पूर्व के करीब 4 जन औषधि केंद्रों के हाल ये हैं कि वे बंद की कगार पर चालू हैं। शहर में 2019 के बाद की करीब 6 दुकानों में से भी कुछ प्रमुख दुकानें ही ज्यादा प्रचलन की स्थिति में है। जब यह केंद्र शुरू हुआ तब यहां 2 हजार से ज्यादा उच्च गुणवत्ता की दवाइयां, 300 से ज्यादा सर्जिकल उपकरण उपलब्ध होना थे। इन केंद्रों में न तो 2 हजार प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हो सकी और न पर्याप्त सर्जिकल उपकरण।मांग की अपेक्षा पूर्ति में अंतर के हाल-जन औषधि केंद्र से संबंधित विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि जेनेरिक दवाईयों में मियाद समाप्ति की स्थिति में वापसी नहीं होती है। ऐसे में कोई भी केंद्र वाला अधिक माल नहीं लेता है। जैसे –जैसे जो आईटम चलता है उसके अनुसार उसे फार्मास्यूटिकल मेडिकल डिवायसेस ब्यूरो आफ इंडिया से मंगवाया जाता है। आनलाईन वेबसाईट पर आर्डर और अग्रिम भूगतान करना होता है। ऐसे में सप्लाय में अगर कम समय की मियाद समाप्ति वाला आयटम आ जाए और उस दौरान संबंधित दवाई विक्रय की स्थिति नहीं बन पाए तो नुकसान के हाल बन जाते हैं। ऐसे में कम और चलने वाले ही प्रोडक्ट मंगवाए जाते हैं। इसके साथ ही करीब 5 हजार प्रोडक्ट में से आपके आर्डर के अनुसार समय पर पूर्ति हो ऐसा भी नहीं होता है। आपके आर्डर के विरूद्ध 60-70 प्रतिशत माल ही मिल पाता है। अगर आपने 10 प्रकार के आयटम मांगे हैं तो उनमें से अधिकांश समय सप्लाय में मात्र 6-7 की ही उपलब्धता रहती है। सप्लाय का मुद्दा शुरू से ही रहा है इसकी वजह से भी आमजन को हकीकत का लाभ नहीं मिल पाता है।बाजार में सर्जिकल आयटम प्रतिस्पर्धा में-जन औषधि केंद्र से संबंधित व्यवसायी बताते हैं कि यहां की जेनेरिक दवाईयां ही सस्ती हैं लेकिन बाजार के मान से मियाद समाप्ति पर इनकी ब्रांडेड की तरह से वापसी नहीं होती है। इसका पूरा नुकसान केंद्र संचालक को ही उठाना पडता है। ऐसे में नुकसान से बचने के लिए कम ही माल मंगवाया जाता है। दवाईयों में ही खरीदने वाले को लाभ है लेकिन सर्जिकल आयटम में अस्पतालों के मान से आयटम रखना भी रिस्क की स्थिति का है1 दुसरा सर्जिकल में मात्र सेनेटरी पेड ही यहां सस्ता है। डायपर भी अब बाजार में प्रतिस्पर्धा की स्थिति में चल रहा है। हाल यह है कि सर्जिकल बाजार और दुकानों पर कई आयटम यहां से सस्ते तक बेचे जा रहे हैं।अक्सर केंद्रों पर ये दवाईयां नहीं मिलती-टेस्टीकुलर कैंसर, ओवेरियन कैंसर, ब्लिनाटुममाब, बोर्टजोमिब, ब्यूसरेलिन, निगाटिनिब, टूक्सिमा, ट्यूकैटिनिब यह सभी कैंसर की वह दवाइयां हैं, इनमें लंग्स कैंसर, रक्त कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर सहित कई कैंसर के पार्ट शामिल है। किडनी की गंभीर बीमारियों की दवाइयां ऐसी है, जो केंद्र के पास उपलब्ध नहीं रहती है। यह दवाइयां काफी महंगी होती है जो इन केंद्रों पर केंद्र सरकार की योजना के तहत सस्ती दर पर उपलब्ध करवाई जाती है। शहर के मात्र एक दो केंद्र पर ही यह उपलब्ध हो पाती है।जिले में अभी ये हैं केंद्रों की स्थिति-शहर में 2019 के पूर्व के करीब 4 जन औषधि केंद्रों के हाल ये हैं कि वे बंद की कगार पर चालू हैं। शहर में 2019 के बाद की करीब 6 दुकानों में से भी कुछ प्रमुख दुकानें ही ज्यादा प्रचलन की स्थिति में है। वर्तमान में जिले के तराना में 2,नागदा में 3,महिदपुर में 1,बडनगर में 3 केंद्र बाजार में सेवा दे रहे हैं।

Author: Dainik Awantika