सोशल मीडिया पर प्री- बोर्ड परीक्षाओं के लीक हुए सभी पेपर, परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर खड़े हो रहे सवाल

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग अनुचित रूप से किया जा रहा

उज्जैन। कक्षा 10 वीं और 12 वीं प्री बोर्ड की परीक्षाओं के सभी पेपर सोशल मीडिया पर लीक होने का मामला सामने आया है। यह मामला पूरे प्रदेश का है लेकिन फिलहाल इस मामले में उज्जैन के साथ ही उज्जैन के जिला शिक्षा अधिकारी ने ही पेपर लीक होने की बात स्वीकार की है। हालांकि प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया है। पेपर लीक होने के बाद परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे है वहीं कतिपय शिक्षा माफियाओं द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का अनुचित तरीके से भी उपयोग किया जा रहा है।
 माध्यमिक शिक्षा मंडल के प्री-बोर्ड परीक्षा के पहले ही बच्चों के हाथ सारे प्रश्न-पत्र लग गए। कक्षा 10वीं-12वीं के सभी पेपर सोशल मीडिया पर लीक हो गए।  इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर कई फर्जी अकाउंट्स के जरिए प्रश्न-पत्र और समाधान साझा किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में अगले महीने से दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली है। इससे पहले ही   दोनों ही कक्षाओं की प्री-बोर्ड परीक्षाओं के पर्चे परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और यूट्यूब पर वायरल हो गए। इसके मामले उज्जैन और मंदसौर में सामने आ चुके हैं, हालांकि प्रकरण दर्ज नहीं किए गए हैं।
प्रत्येक प्राचार्य के लॉगइन आईडी पर यह खुलता है
शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा ने कहा कि प्रदेशभर के प्रत्येक प्राचार्य के लॉगइन आईडी पर यह खुलता है। पेपर को विमर्श पोर्टल पर उनकी आईडी पर भेजा जाता है, फिर उसकी प्रिंट लेकर प्राचार्य फोटोकॉपी के लिए देते हैं। संभावित है, जिस दुकान पर फोटोकॉपी के लिए पेपर जाएगा, वहां से लीक हो सकता है। हालांकि एक बात यह भी है कि प्री-बोर्ड में पेपर लीक हो या न हो, कोई फर्क नहीं पड़ता।
प्री-बोर्ड का अर्थ ही प्रैक्टिस कराना है। यदि स्टूडेंट्स ने कहीं से पेपर लीक का मटेरियल पढ़ा है, तो परीक्षा में कम से कम वही लिख दे, तो ही वह पास कहलाएगा। क्योंकि इसमें न तो पास होने का कोई मतलब है, न ही फेल होने का। अब तो मॉडल पेपर दिए जाते हैं, ताकि बच्चा उसकी प्रैक्टिस करके परीक्षा दे सके। यदि लीक पेपर भी कहीं से लाकर उसे पढ़ रहे हैं, तो भी वह उसके काम ही आएगा। बच्चों की प्री-बोर्ड लेने का अर्थ ही उन्हें परीक्षा की प्रैक्टिस कराना है, यदि पेपर लीक करके परीक्षा दे रहा है, तो पास-फेल का प्रावधान नहीं है।

पूरा पेपर विद्यार्थियों के मोबाइल तक पहुंच गया

प्रदेश में सोमवार को दसवीं का अंग्रेजी का पेपर 11 बजे प्रारंभ हुआ, लेकिन परीक्षा से 6 घंटे पहले ही पूरा पेपर विद्यार्थियों के मोबाइल तक पहुंच गया। मंगलवार को होने वाला गणित का पेपर भी 21 घंटे पहले ही विद्यार्थियों को मिल गया। ऐसे ही मंगलवार को होने वाला 10वीं की गणित का पेपर सोमवार को ही लीक हो गया। इसी तरह 21 जनवरी को 12वीं कक्षा की बायोलॉजी परीक्षा का पेपर परीक्षा के दो घंटे पहले ही मिल गया। गणित का पेपर भी 21 घंटे पहले ही सोशल मीडिया पर उपलब्ध हो गया। कुछ सरकारी स्कूलों में जांच करने पर यह पुष्टि हुई कि लीक हुए पेपर हूबहू वही थे, जो परीक्षा में बांटे गए।

Author: Dainik Awantika