इंदौर के डेली कॉलेज का नया बोर्ड गठित, देवास राजघराने के विक्रमसिंह पंवार प्रेसिडेंट
राज्यवर्धनसिंह वाइस प्रेसिडेंट, प्रिंसिपल भी तय
इंदौर। शहर की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था डेली कॉलेज में नए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन हुआ। जिसमें देवास राजघराने के विक्रमसिंह पंवार को बोर्ड का प्रेसिडेंट और राज्यवर्धनसिंह नरसिंहगढ़ को वाइस प्रेसिडेंट चुना गया।
यह फैसला बुधवार को आयोजित बोर्ड मीटिंग में लिया गया। इसमें नरेंद्र सिंह झाबुआ की जगह विक्रमसिंह पंवार को बोर्ड का प्रेसिडेंट चुना गया है। वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल नीरज बढ़ोतिया का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। जिनकी जगह नए प्रिंसिपल का नाम अगले एक-दो दिन में तय किया जाएगा। फिलहाल बढ़ोतिया को हटाकर उनकी जगह वाइस प्रिंसिपल अहमद अंसारी को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया है।
प्रिंसिपल पद के लिए बिंद्रा के नाम की चर्चा
डेली कॉलेज में प्रिंसिपल बढ़ोतिया और बोर्ड के कुछ सदस्यों के बीच पहले से ही तकरार बनी हुई थी। उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। उनका कार्यकाल एक्सटेंड करने का कांट्रैक्ट भी बोर्ड ने खारिज कर दिया है। सूत्रों की मानें तो गुरविंद बिंद्रा के नाम पर मुहर लगने की चर्चा है। बोर्ड की सहमति के बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
पांच साल में एक बार होता है चुनाव
डेली कॉलेज में बोर्ड का गठन चुनाव के बाद किया जाता हैं। इस चुनाव में 7 सदस्य चुने जाते हैं। दो ओल्ड डेलियन्स के प्रतिनिधि, दो ओल्ड डोनर्स के प्रतिनिधि, एक नए डोनर्स के प्रतिनिधि और दो सरकारी नॉमिनी के साथ डेली कॉलेज का बोर्ड तैयार होता है।
डेली कॉलेज (डीसी) की स्थापना 1885 में हुई थी। डेली कॉलेज के नाम में कॉलेज जुड़ा है लेकिन इसकी शुरुआत स्कूल के रूप में हुई थी। स्थापना के करीब 100 साल बाद यहां एक बिजनेस स्कूल शुरू किया गया।
शुरुआत में इसमें सिर्फ रॉयल ब्लड यानी राजा-महाराजाओं के बच्चे को ही एडमिशन मिलता था। 1940 से इसके दरवाजे आम लोगों के बच्चों के लिए खोले गए। 118 एकड़ में फैले स्कूल कैंपस की मेन बिल्डिंग का उद्घाटन 1912 में हुआ था।
मकराना मार्बल से बनी मेन बिल्डिंग इंडो मुगल शैली में बनी है।
इंदौर के होल्कर राजाओं द्वारा कॉलेज के लिए 118 एकड़ जमीन दान में देने और बाद में आर्थिक सहयोग के बाद भी कॉलेज का नाम ब्रिटिश एजेंट सर हेनरी डेल के नाम पर रखा गया है। उन्होंने इसकी स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। होल्कर के अलावा ग्वालियर के सिंधिया, देवास के पवार राजघराने ने भी इसमें काफी मदद की। डेली कॉलेज में कुछ फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।