सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर खड़े हो रहे सवाल, इसलिए तैयारी में है सरकार
उज्जैन। चाहे मध्यप्रदेश की बात करें या फिर जिले में संचालित होने वाले सरकारी स्कूलों की ही बात क्यों न हो इन स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते है लेकिन अब सरकार एक बार फिर से राज्य शिक्षा सेवा को लागू करने की तैयारी में है ताकि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। बता दें कि करीब ग्यारह साल पहले शिक्षा सेवा को लागू किया गया था लेकिन बीच में इसे ढिलाई में छोड़ दिया गया था।
स्कूली शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य शिक्षा सेवा के अधीन किस प्रकार एरिया एज्युकेशन का निर्धारण किया जा सके। इसकी कमान स्कूल शिक्षा विभाग ने लोक शिक्षण संचालनालय डायरेक्टर केके द्विवेदी को सौंपी है। उनके द्वारा संभागवार जिलों के मौजूदा विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को कम्प्यूटर ऑपरेटरी सहित बुलाया जा रहा है। कम्प्यूटर में हर ब्लॉको के मैप के आधार पर भौगोलिक स्थिति को समझा जा रहा है।गौरतलब है कि तकरीबन एक दशक पूर्व स्कूल शिक्षा विभाग ने जिस राज्य शिक्षा सेवा को लागू किया था। उसे अस्तित्व में लागू करने की तैयारियां की जा रही है। इसके लिए पूरे राज्य के विकासखंड शिक्षा अधिकारियों को राजधानी बुलाया जा रहा है। जिनसे एरिया एजुकेशन ऑफिसर (एईओ) निर्धारण की भौतिक संरचना समझी जा रही है। वर्ष 2013 में स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्य शिक्षा सेवा को लागू किया था। इसका बाकायदा राजपत्र में प्रकाशन किया गया था।
अभी डिपार्टमेंट राज्य शिक्षा केन्द्र और लोक शिक्षण जैसी इकाईयों के सहारे प्रदेश की स्कूल शिक्षा पर नियंत्रण कर रहा है। इसमें पहली से आठवीं तक राज्य शिक्षा केन्द्र और नौवीं से बारहवीं तक की अध्यापन व्यवस्था लोक शिक्षण संचालनालय संभालता आ रहा है। जब साल 2013 में राज्य शिक्षा सेवा को लागू किया गया था। तब विभाग ने 3 हजार 256 पदों पर एरिया एजुकेशन ऑफीसर की परीक्षा कराई थी। इसमें हेडमास्टरों से लेकर प्राचार्य शामिल हुए थे। करीब 3500 अभ्यर्थी चयनित हुए है। उन्हीं को एरिया एज्युकेशन बनाकर मैदानी स्तर पर शिक्षा का नियंत्रण करना था। तब पुराने प्राचार्य और लेक्चरर विरोध में आये थे। क्योंकि परीक्षा में अध्यापक भी शामिल हुए थे, लेकिन इन्हें आहरण संवितरण के कोई अधिकार नहीं थे। तब मामला कानूनी दावं-पेंच में फंस गया था। तभी से राज्य शिक्षक सेवा का मसौदा भी उलझन में पड़ा रहा।