दैनिक अवंतिका उज्जैन। बसंत पंचमी की शाम ज्योतिर्लिंग महाकाल को संध्या आरती में पंडे-पुजारियों ने लाल गुलाल लगाकर होली पर्व की शुरुआत की। उज्जैन में मथुरा व वृंदावन की तरह 40 दिन तक होली मनाई जाती है। पहले भगवान होली खेलते हैं फिर भक्त।
मंदिर में अल सुबह 4 बजे हुई भस्मारती से ही बसंत पंचमी पर्व के साथ होली पर्व की शुरुआत हो गई। भगवान महाकाल को पंडे-पुजारियों ने चांदी के आभूषण धारण कराए। पीले वस्त्रों से शृंगारित किया। पीले बसंत के फूल चढ़ाए और भोग में भी मीठे पीले चावल अर्पित किए गए।इसके पश्चात दिन की सभी आरतियों में भगवान को पीले बसंत फूल चढ़ाने के साथ ही मिठाई व फलों का भोग लगाया गया। शाम को 7 बजे की संध्या आरती में भगवान महाकाल का भांग, ड्रायफ्रूट्स से शृंगार कर लाल हर्बल गुलाल लगाकर होली पर्व की शुरुआत की गई। महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया उज्जैन में 40 दिन तक होली पर्व मनाने की परंपरा है जिसकी शुरुआत ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से हुई।
श्रीनाथ जी की हवेली में बसंत
पंचमी पर उड़ा अबीर-गुलाल
उज्जैन के ढाबा रोड स्थित वैष्णवों के प्रमुख प्रसिद्ध श्रीनाथ जी की हवेली मंदिर में बसंत पंचमी पर सुबह की आरती में पहले भगवान को अबीर-गुलाल लगाया गया। इसके बाद भक्तों पर अबीर-गुलाल उड़ाकर होली पर्व की शुरुआत की गई। वैष्णव मंदिरों में भी 40 दिन तक होली पर्व की धूम रहेगी।प्रतिदिन सुबह की आरती में भगवान को तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाएगा और अबीर-गुलाल अर्पित कर होली खिलाई जाएगी।
शुरुआत में सूखा हर्बल गुलाल फिर
रंग भरी ग्यारस से उड़ेगा गीला रंग
मंगलनाथ मार्ग पर स्थित महाप्रभुजी की बैठक के ट्रस्टी विट्ठल नागर ने बताया वैष्णव मंदिरों में शुरुआत में सूखे हर्बल रंग से होली खेलेंगे। इसके बाद रंग भरी ग्यारस से गीले रंग से होली शुरू होगी। यह केसरिया रंग भी प्राकृतिक ही होता है जो कि टेसू के फूलों से तैयार किया जाता है।