भोपाल। उज्जैन सिंहस्थ मेला क्षेत्र के विकास के लिए आगामी 15 अप्रैल तक डीपीआर तैयार कर ली जाएगी। भवन अनुज्ञा का कार्य आगामी 15 जून तक कर लिया जाएगा और 25 जून से कार्य प्रारंभ होगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में नगर विकास योजना की कार्ययोजना तैयार कर कार्य की शुरुआत जून 2025 से युद्ध स्तर पर की जाएगी।
यहां 200 एमएलडी पेयजल क्षमता का मेला क्षेत्र में विकास किया जाएगा। सीवर नेटवर्क डिजाइन के अंतर्गत सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 160 एमएलडी का सीवरेज जनरेशन होगा जिसमें 100 एमएलडी क्षमता के स्थाई एसटीपी निर्माण किए जाएंगे और अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। यहां होने वाले विकास कार्यों की तैयारियों की समीक्षा जापान से लौटने के बाद अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा ने की। उन्होंने उज्जैन में चल रहे कई निर्माण कार्यों का निरीक्षण भी किया है।
जल संसाधन कराएगा ये काम
- जल संसाधन विभाग के सिंहस्थ 2028 के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा भी सरकार के आला अफसर कर रहे हैं।
- कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना का 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इसकी लागत लगभग 919.94 करोड़ रुपये है।
- वर्तमान में कुल लागत की 57 प्रतिशत वित्तीय प्रगति हो चुकी है। सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना के अंतर्गत डिजाइन और सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है एवं खुदाई का कार्य जारी है।
- इसे मई 2027 तक पूरा किया जाना है।
- सिंहस्थ महापर्व 2028 के मद्देनजर 91 करोड़ रुपये की लागत से 29 घाटों का निर्माण किया जाएगा।
- क्षिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए क्षिप्रा नदी पर बैराजों की श्रृंखला का निर्माण किया जा रहा है।
- देवास, इंदौर और उज्जैन में बैराजों की श्रृंखला बनाई जाएगी। एनवीडीए के अंतर्गत नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना एवं उज्जैन परियोजना, नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना, नर्मदा-क्षिप्रा बहुउदेशीय परियोजना की भी समीक्षा की गई।
पानी का इंतजाम कैसे करेंगे यह भी तय कर रही सरकार
सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की मौजूदगी के चलते प्रतिदिन उज्जैन शहर में पानी की कितनी डिमांड होगी। इसके आधार पर भी व्यवस्था बनाने पर सरकार फोकस कर रही है। वर्तमान में उज्जैन शहर की जनसंख्या लगभग 8.65 लाख है। इसमें प्रतिदिन पेयजल की मांग 178.28 एमएलडी है। अम्बोदिया, गऊघाट, साहिबखेड़ी और उंडासा के जलाशयों को मिलाकर कुल पानी की क्षमता 151.01 एमएलडी है। प्रस्तावित सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना से 51 एमसीएम, नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना से 58.34 एमसीएम पेयजल की सप्लाई की जा सकेगी। इसके अलावा न्यू अम्बोदिया की 68 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना प्रस्तावित है। साथ ही 860 करोड़ रुपये की लागत से हरियाखेड़ी परियोजना पर 100 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना का विकास भी किया जा रहा है।
6 सेक्टर में बंटेगा सिंहस्थ मेला जोन
उज्जैन में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर भी सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है। बीडीसी (भवन विकास निगम) के द्वारा मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत कुल 592.3 करोड़ रुपये है। इसमें 550 बिस्तर की क्षमता होगी। सिंहस्थ में जनसंख्या के पीक लोड वाले दिनों में विस्तार योग्य क्षमता जोड़ी जाएगी तथा सामान्य दिनों में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों की क्षमता के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाएगी। इसके अंतर्गत 500 अस्थायी अस्पताल बनाए जाएंगे और कैम्प लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अनुसार 6 जोन में बांटा जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटल रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टॉफ की ट्रैनिंग आयोजित की जाएगी। सिंहस्थ के गर्मी के मौसम में आयोजन को दृष्टिगत रखते हुए इलेक्ट्रोलाईट की उपलब्धता समस्त मेला क्षेत्र में जगह-जगह तय की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपदा की स्थिति में कार्ययोजना स्टेट यूनिट के साथ मिलकर बनाई जाएगी। मेले के दौरान बर्न यूनिट, एम्बुलेंस की सुविधा, ब्लड बैंक, ट्रॉमा सेंटर आदि की सम्पूर्ण तैयारी रखने पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग का विशेष ध्यान हैजा और अन्य मौसम जनित बीमारियों और आपदा प्रबंधन के रिस्पांस पर भी ध्यान रखा जाएगा। स्वास्थ्य प्लान में आयुष विभाग को भी जोड़ा जाएगा।
कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता
सिंहस्थ में साफ-सफाई व्यवस्था की कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि सड़क एवं अन्य सफाई कर्मियों को मिलाकर 11 हजार 220 सफाईकर्मियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर 16 हजार 220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता सिंहस्थ में होगी। इस स्थिति को ध्यान में रखने के साथ ऑउटसोर्स एजेंसी के कार्यों की मॉनिटरिंग की जाने तथा इसका समय-समय पर फॉलोअप पर भी फोकस किया जाएगा।