उज्जैन। राष्ट्रीय खादी उत्सव के तहत मध्य प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग द्वारा खादी वस्त्र ग्रामोद्योग प्रदर्शनी एवं विक्रय हेतु पीजीबीटी ग्राउंड व कालिदास अकादमी परिसर में 29 जनवरी से 12 फरवरी तक खादी वस्त्र सहित अन्य सामग्रियों के मेले का आयोजन किया गया है मेले में 50-60 दुकान है। इनमें से कुछ खाली पड़ी है। लेकिन मेला औपचारिकता बन कर रह गया। उद्घाटन करने के लिए कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग सहित अन्य अधिकारी आए। मेले में बनाए गए मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। मेले को लगे 10 दिन से अधिक हो गए हैं। लेकिन मेले में ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। दिन भर सन्नाटा पसरा रहता है। शाम को भी छुटपुट की संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऐसे में मेले में दुकान लगाने वाले दुकानदारों के व्यापार पर खासा असर पड़ा है। कुछ दुकानदार तो अपना सामान समेट कर मेले से रवाना हो गए हैं।
वस्त्र सहित अन्य सामग्रियों की लगी दुकानें
मेले में कुछ स्टाल बुनकर स्वयं सहायता समूह महेश्वर को दिया गया है। यह सहायता समूह महेश्वर की साड़ियां सहित अन्य सामान बनाता है। एक खादी ग्रामोद्योग एंपोरियम सहित राजस्थानी मोजड़ी, विवाह मैं हल्दी मेहंदी की रस्म की पोटली, खादी के कुर्ते, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, कॉटन की साड़ी की दुकान व अन्य दुकानें लगी है। इसके अतिरिक्त विभागों द्वारा अपनी अपनी योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के लिए प्रदर्शनी भी लगाई है। दुकानों की संख्या कम होने व मेले का ठीक से प्रचार प्रसार न होने के कारण यहां ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। मेले में लगी दुकानों पर ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं इस वजह से दुकानदारों में निराशा छाई हुई है।
ग्राहकों की आमद न देख कई दुकानदार शाम होने से पहले ही अपनी दुकान से सामान समेट चले जाते हैं। मेले का उद्देश्य था कि सभी को एक मंच पर एकत्र कर सामान बेचने का मौका मिले। लेकिन नाम तो मेला रखा गया। लेकिन मेले का स्वरूप नहीं बन पाया। यहां न तो प्रचार प्रसार में ग्राहक आए और नाही मेले में रौनक दिखाई दे रही है। मेले के कुछ दिन शेष बचे हैं। मेला आयोजन के लिए विभागवार सभी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन अभी भी दुकानदारों को ग्राहकों का इंतजार है। इनमें से कई दुकानदारों ने 8000 -10000 रूपए देकर दुकान ली है उनकी लागत भी नहीं निकल पाई है। ऐसे में उनकी स्थिति बहुत खराब है। वही बाहर से आए दुकानदारों की भी यही स्थिति है। उनका भी खर्चा नहीं निकल पाया है। 12 फरवरी को मेले का समापन है। ऐसे में यहां मेले में दुकान लगाने वाले कई दुकानदारों ने मेले के समापन के पहले ही अपने सामान समेटना शुरू कर दिए हैं।