भोपाल में विश्व की सबसे बड़ी रामचरितमानस

 

लाल स्याही से लिखे गए 6333 पन्ने; हर पेज पर सिर्फ एक दोहा, चौपाई या छंद

ब्रह्मास्त्र भोपाल। कहते हैं- हरि अनंत, हरि कथा अनंता। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण काल में ही रामायण लिखी, क्योंकि उन्होंने भगवान राम के जीवन को देखा था। सबसे प्रचलित तुलसीदासकृत रामचरितमानस है। गोस्वामी तुलसीदास 15वीं शताब्दी के कवि हैं। उनकी लिखी रामचरितमानस जन-जन में बसी है। इसी रामचरितमानस को भोपाल के प्रोफेसर डॉ. अरुण खोबरे ने हाथ से लिखा है। शहर के चार इमली इलाके के हनुमान मंदिर में ये रामचरितमानस साल 2008 से रखी हुई है। मंदिर के पंडित और व्यवस्थापक रमाशंकर थापक का दावा है कि यह विश्व की सबसे बड़ी हाथ से लिखी रामचरितमानस है। पीले कागज पर लाल स्याही से लिखे इसमें 6333 पन्ने हैं। हर पन्ने पर सिर्फ एक दोहा, चौपाई या छंद है।