अब अफसरों की मनमानी पर लगाम कसेगी मोहन सरकार
उज्जैन। ऐसा नहीं है कि उज्जैन जिले के सरकारी अफसरों को सरकारी लग्जरी वाहनों का सुख नहीं मिलता हो निश्चित ही मिलता है और वह भी एक नहीं बल्कि दो या तीन-तीन वाहनों का ! लेकिन होता यह है कि अफसरों द्वारा एक वाहन तो खुद के लिए रखा जाता है लेकिन दूसरा वाहन पत्नी और बच्चों के काम में आता है अर्थात दूसरे वाहन की तैनाती बंगले में इसलिए की जाती है ताकि उसका उपयोग घरेलू तौर पर किया जा सके लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि सूबे की मोहन सरकार अफसरों की वाहनों के उपयोग में होने वाली मनमर्जी पर लगाम कसने की तैयारी कर रही है।
हर संभाग में समीक्षा को कहा है
10 फरवरी 2025 को सभी मुख्य अभियंता, कार्यपालन-सहायक व प्रभारी यंत्री, कछार प्रभार, जोन प्रभारी, संभागीय प्रभारी सहित मैदानी अफसरों को गाड़ियों के लिए गाइडलाइन भेजी है। उन्हें हर संभाग में समीक्षा को कहा है। मैदानी अफसरों को निर्देश हैं कि टैक्सी कोटे से जो गाड़ी ली जाएगी, उसका मालिक प्रथम या द्वितीय श्रेणी के अफसर का रिश्तेदार नहीं होगा। ऐसा हुआ तो भुगतान से दोगुनी राशि वसूली जाएगी। स्कार्पियो-बोलेरो नहीं ली जाएगी। वरिष्ठता के हिसाब से गाड़ी ली जाएगी। चालक राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होगा, किराये की गाड़ी सरकारी अफसर या ड्राइवर नहीं चलाएंगे।