दैनिक अवंतिका उज्जैन। इसे काम के प्रति उदासीनता और नजरअंदाजी का नतीजा ही कहा जाएगा कि एम आर-2 जैसे मार्ग के चौराहे पर हुए गड्ढे नगर निगम के जिम्मेदार नहीं देख पा रहे हैं। इसका नतीजा यह हो रहा है कि रात्रि के दौरान अंधेरे में लोग अच्छी खासी सडक के चौराहे पर आकर जोरदार दचके खा रहे हैं और वाहनों में अपने सिर टकरा रहे हैं।
एमआर-2 वीआईपी मार्ग होने के बावजूद यह अनदेखी होना आश्चर्य से कम नहीं हैं। जोन क्रमांक -4-6 के अंतर्गत आने वाले इस मार्ग को संधारित किए जाने के लिए कभी राज्य शासन को मैदान में आना पडा था और इसका ठेका एक निजी कंपनी को देकर देवास रोड से इंदौर रोड शांति पैलेस चौराहे तक रोड का निर्माण करवाना पडा था। करीब 8 साल बाद इस रोड में टाटा के काम के बाद कुछ स्थानों पर गड्ढे बन आए हैं जिनकी रिपेयरिंग को लेकर भी नगर निगम में सजगता का अभाव साफ दिख रहा है।
प्रमुख चौराहा के तीन गड्ढे-
एमआर-2 मार्ग फोरलेन है और डिवायडर भी यहां है। भरतपुरी प्रशासनिक जोन के यहां पर स्थित चौराहे के बीच में पूर्व में इलेक्ट्रीक का खंबा था जिसे विद्युत कंपनी ने हटा दिया है। इससे यहां एक गड्ढा बन गया है। यहीं पर पास में ही दो अन्य जोरदार गड्ढे अन्यानेक कारणों से बने हुए हैं। चौराहे पर ये गड्ढे ऐसे स्थान पर और हालात में हैं कि न तो अंधेरे में ही दूर से दिखाई देते हैं और न ही दुधिया रोशनी में ही दूर से दिखाई देते हैं। इन गड्ढों में नानाखेडा क्षेत्र से देवास रोड की तरफ आने वाले वाहन चालकों को दचके खाने पडते हैं। दिन तो ठीक रात के समय तेजी से आने वाले वाहन के चालक को ये गड्ढे दूर से दिखाई नहीं देते हैं और पास में दिखाई देने पर जोरदार ब्रेक मारने पर दुर्घटना का अंदेशा बन जाता है। ऐसे में चौपहिया एवं दुपहिया वाहन चालक जब गडढे में वाहन को कुदाता है तो चौपहिया में बैठी सवारी का सिर वाहन के छत से जा भिडता है। बसों में सवारी सीट से उपर तक उछल जाती है।