देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने डेटा स्टोरेज की सटीकता बढ़ाने के लिए सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन की

ब्रह्मास्त्र उज्जैन/इंदौर

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) ने एक सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन की है जो डेटा स्टोरेज की सटीकता को बढ़ाती है, जिससे सैटेलाइट इमेजरी और बायोमेडिकल एप्लीकेशन को फायदा होता है। सेमीकंडक्टर चिप को डीएवीवी के इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के वीएलएसआई ग्रुप द्वारा टाइनी टेपआउट शैक्षणिक परियोजना के के तहत विकसित किया गया है।

यह परियोजना सेमीकंडक्टर डिजाइन को अधिक सुलभ और किफायती बनाने का लक्ष्य रखती है। इस उपलब्धि के साथ, डीएवीवी उन प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने सफलतापूर्वक एक फैब्रिकेटेड सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन किया है।
चिप का विकास और विशेषताएं- यह चिप स्काईवाटर की 130एमएम तकनीक का उपयोग करके विकसित की गई है, जो डेटा त्रुटियों का स्वत: पता लगाकर उन्हें सुधार सकती है। यह सफलता डीएवीवी की अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करती है और छात्रों को अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर तकनीक में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करती है।

टीम और अनुसंधान प्रक्रिया
आईईटी के फैकल्टी और रिसर्च स्कॉलर्स समेत सात सदस्यों की टीम ने इस चिप को डिजाइन किया और इसे फैब्लैब मलेशिया से फैब्रिकेट करवाया। इस टीम का नेतृत्व डॉ. विभव नीमा ने किया, जिनके साथ प्रोफेसर रवि सिंदल, प्रियंका शर्मा, आशीष पंचाल, और पीएचडी स्कॉलर्स ऋषभ बडजातिया, अमित साहनी और आस्था गुप्ता शामिल हैं। टीम ने पिछले डेढ़ साल से इस सेमीकंडक्टर चिप को डिजाइन करने पर काम किया है। कएळ के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शैलेश सिंह चौहान, जो वर्तमान में स्वीडन विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं, ने भी इस परियोजना में मार्गदर्शन दिया। डॉ. नीमा ने बताया, ” हमें निर्मित सेमीकंडक्टर चिप प्राप्त हो गई है, इसलिए अब हम परीक्षण और पेटेंट के लिए आगे बढ़ेंगे। यह विकास हमारे विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए नए रास्ते खोलेगा, जो आत्मविश्वास के साथ अपने विचारों पर काम कर सकते हैं और उन्हें प्रोटोटाइप में बदल सकते हैं।
अनुसंधान और औद्योगिक अनुप्रयोग
आईईटी को इस परियोजना के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से चिप्स टू स्टार्टअप्स कार्यक्रम के तहत 1 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। इस योजना का उद्देश्य अगली पाँच वर्षों में 85,000 इंजीनियरों को वीएलएसआई और एम्बेडेड सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना है। इस पहल से सेमीकंडक्टर डिजाइन और निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे एसओएस सिस्टम डिजाइन को स्नातक, मास्टर्स और अनुसंधान स्तर पर सीखने में सहायता मिलेगी। यह भारत में फैबलेस डिजाइन स्टार्टअप्स के विकास को भी बढ़ावा देगा।

Author: Dainik Awantika