उज्जैन। आधुनिक समाज में जहां युवा अपने बुजुर्गों को वृद्धाश्रम छोड रहे हैं वहीं माता-पिता बच्चों के जीवन के लिए कुछ भी कर गुजरने को भी तैयार हैं। महाराष्ट्र के अमरावती निवासी देवीदास भी अपने पुत्र के लिए ऐसा ही कुछ कर रहे हैं। करंट से मृत्यु शय्या पर आए पुत्र के जीवन के लिए उन्होंने देवी से मन्नत मांगी थी और उसी के तहत वे तीसरी बार लौटन यात्रा कर वैष्णवदेवी जा रहे हैं।मूलत: अमरावती निवासी 52 वर्षीय देवीदास पिता श्रीपद थोरात इस भरी गर्मी और तपती सडक पर ऐसे लौट लगाते हुए अपनी यात्रा को पूर्ण कर रहे हैं जैसे मां की गोद में एक बच्चा लौट लगाता है। उनकी लौटन यात्रा में पीछे –पीछे एक पुरानी सायकल पर सामान के साथ इलेक्ट्रानिक रेकार्डर पर भजनों को बजाती हुई उनकी बेटी वैष्णवी चलती है। बीच –बीच में रूककर देवीदास अपनी बेटी से पानी के लिए बाटल मांगते हैं ,दो घूंट पानी पीकर सुस्ताते हैं और उसके बाद फिर लौटन यात्रा का क्रम शुरू हो जाता है।बेटे की सांसों की मन्नत –देवीदास संक्षिप्त बातचीत करते हुए कहते हैं कुछ वर्ष पूर्व 16-17 वर्षीय बेटे दुर्गेश को करंट लगा था। उसका जीवन संकट में आ गया था। उसकी सांसे टूटती इससे पहले मां से मन्नत मांगी और उससे वादा किया था कि यह सांस लेता रहेगा तो मैं लौटन के साथ तुम तक पहुंचुगा। बेटा अच्छी सांसे ले रहा है। मां वैष्णव देवी से मन्नत का वादा निभाने के लिए तीसरी बार निकला हुं। यह तीसरी बार है और साढे तीन महीने पहले अमरावती से दर्शन कर यात्रा की शुरूआत की थी। अभी 6 माह का समय और लगना है। हर बार बाबा महाकाल के दर्शन करते हुए ही यात्रा में आगे बढता हुं और मां के दरबार तक पहुंचता हुं। इस बार भी शनिवार को बाबा के दर्शन कर रविवार को आगे की यात्रा के लिए निकलूंगा। बेटी वैष्णवी मेरे साथ यह तीसरी बार जा रही है। सायकल पर रखी गठरी में रोजमर्रा की सामग्री है। धर्म क्षेत्र में आस्थावान भी मदद करते हैं। मन्नत पूरी करने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं और हौंसला भी देते हैं।