नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों या करीबी रिश्तेदारों को उपहार में दी गई संपत्ति को रद्द कर सकते हैं, यदि वे उनकी देखभाल करने में विफल रहते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 23(1) ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करती है जिन्होंने इस उम्मीद में अपनी संपत्ति हस्तांतरित की थी कि उनकी देखभाल की जाएगी। न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति के राजशेखर की खंडपीठ ने यह फैसला दिवंगत एस नागलक्ष्मी की पुत्रवधू एस माला द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए सुनाया।