पुस्तक मेले से कितनी राहत मिलेगी अभिभावकों को, उज्जैन में डिस्काउंट को लेकर चुप्पी क्यों -स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश प्रति वर्ष आया ,इस बार ही अमल में आया

उज्जैन। अभिभावकों कमीशन खोरी से बचाने के लिए लगाए जा रहे पुस्तक मेले में दी जाने वाली छूट को लेकर अभी भी जिले में स्थिति साफ नहीं है,जबकि प्रदेश के जबलपुर में किताबों से लेकर गणवेश तक पर भारी छूट मेले में दी जा रही है। प्रदेश का शिक्षा विभाग प्रति वर्ष आदेश जारी करता रहा है कि कोई भी स्कूल किसी एक जगह से यूनिफार्म या पुस्तकें खरीदने का दबाव नहीं बनाएगा। बीते वर्षों में क्या स्थिति रही है यह सभी अभिभावक जानते हैं। अभी भी मेले में दिए जाने वाले डिस्काउंट को लेकर सभी मौन हैं।प्रदेश के शिक्षा विभाग से जारी होने वाले आदेश को लेकर इस बार भी हमारे यहां देरी से ही जागृति आई है। हमारे यहां 28 मार्च से 6 अप्रेल के दौरान मेला हाट बाजार हरिफाटक ब्रिज के पास आयोजित किया जा रहा है। जबकि जबलपुर में मेला अपने शबाब पर आ गया है और वहां जमकर खरीदी हो रही है। इस खरीदी में पुस्तक एवं गणवेश विक्रेता खासा डिस्काउंट अभिभावकों को दे रहे हैं। उज्जैन में मेला आयोजन को लेकर प्रारंभिक स्थिति में 13 दुकानों का आवंटन किया गया है लेकिन अब तक डिस्काउंट को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति सामने नहीं रखी जा रही है।पिछले वर्षों में आदेश पर यह हुआ-प्रति वर्ष नए शिक्षण सत्र से पूर्व शिक्षा विभाग मुख्यालय से आदेश जारी किए जाते रहे हैं। ये आदेश पुस्तकों या गणवेश  में कमीशन के खेल पर प्रतिबंध लगाने का रहा है। आदेश आने पर उसे फाईलों तक ही सिमित कर दिया गया और कागजी तौर पर ही उसकी औपचारिकताओं का निर्वहन कर दिया गया। इस आदेश के अनुनार किसी एक दुकान से पुस्तकें या यूनिफार्म खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता है। इसके बावजूद पिछले वर्षों में एक ही दुकानों से पुस्तकें एवं कापी के साथ ही गणवेश खरीदने के दबाव के चलते अभिभावकों का आर्थिक शोषण होता रहा है।उज्जैन में 3.60 लाख बच्चे-जिला शिक्षा विभाग के अनुसार जिले में राज्य बोर्ड से संबंधित एवं सीबीएसई से संबंधित निजी स्कूलों के सभी मिलाकर पहली से बारहवीं तक के कुल 3.60 लाख बच्चे हैं। नए शिक्षण सत्र में इनके प्रवेश की तैयारी है। एक अप्रेल से नए शिक्षण सत्र की शुरूआत होना है। इसके पहले ही सीबीएसई के कुछ स्कूलों ने अपने यहां 20 मार्च से ही शुरूआत कर दी है। इसके लिए उन्होंने मेला आयोजित होने से पूर्व ही अपने स्कूली बच्चों से कोर्स भी पूर्व में ही मंगवा लिया है। यहां तक की नर्सरी के लिए जिन बच्चों का एडमिशन जनवरी फरवरी में किया गया है। उनके अभिभावकों से फीस के साथ ही कोर्स एवं गणवेश के रूपए भी वसूल लिए गए हैं। यहां तक की बच्चों को एक जैसे बेग,बाटल,लंच बाक्स तक के रूपए वसूलने की जानकारी सामने आ रही है।पिछले वर्ष हुई थी जिले में कार्रवाई-उज्जैन जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष पुस्तक-गणवेश विक्रेता एवं स्कूलों की सांठगांठ को छापामार कार्रवाई के तहत पकडा था। इसके तहत 16 स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगे गए थे। उसके उपरांत जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने प्रत्येक स्कूल पर 2 लाख का जुर्माना किया था। जिले के एक मात्र स्कूल ने जुर्माना अदा किया था। शेष 15 स्कूलों ने जिला समिति के आदेश के विरूद्ध राज्य स्तरीय समिति में अपील कर दी थी। इस अपील के निर्णय की अब तक जिला शिक्षा विभाग को दरकार है।तिकडम से करते हैं जेब हल्की-स्कूल एवं पुस्तक –गणवेश विक्रेता की सांठगांठ के चलते एक स्कूल तीन या चार दुकानदारों के अपने स्कूल की किताबें बेचने का ठेका दे देते हैं। अब इन दुकानों पर वह पुस्तकें एवं गणवेश मिल रही है, मतलब किसी एक दुकान पर खरीदने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया गया। सभी जगहों पर प्रकाशक की कमाई, स्कूल और पुस्तक विक्रेता का कमीशन मिलाकर कोर्स की किमत 05 से 10 हजार तक पहुंच जाती है। अन्य पुस्तक विक्रेता भी वही पुस्तकें मंगवाकर बेचे ऐसा संभव नहीं हो पाता है उसके पीछे कारण यह है कि स्कूलों के अनुबंध की शर्तों के अनुसार प्रकाशक की पुस्तकें बेचने वाली कंपनी अन्य पुस्तक विक्रेता को पुस्तकें ही उपलब्ध नहीं करवाती है। अगर देगी भी तो ज्यादा दर में । ऐसे में अभिभावकों की जेब हर तरफ से तराशने के लिए तिकडम और तरकीब का इस्तेमाल किया जाता है।

हर साल इस लिए बदलते हैं कोर्स-

Author: Dainik Awantika