जीएसटी परिचर्चा: स्थायी संपत्ति पर जीएसटी व स्टाम्प ड्यूटी में से एक टैक्स लगे
इस साल से बढ़ सकती है नोटिसों की संख्या
ब्रह्मास्त्र इंदौर। जीएसटी में आ रही व्यावहारिक समस्याओं को लेकर सीए शाखा ने परिचर्चा रखी। इसमें शहर के सीए, विभिन्न टैक्स एसोसिएशन एवं बिजनेस व ट्रेड एसोसिएशन के पदाधिकारी उपस्थित थे। इस मीटिंग का उद्देश्य विभिन्न समस्याओं को एकत्र कर उचित प्राधिकारी तक पहुंचना था।
दिल्ली सीए इंस्टिट्यूट के अप्रत्यक्ष कर कमेटी के चेयरमैन सीए पी. राजेंद्र कुमार ने भाषण में कहा कि अगले पांच वर्ष जीएसटी ऑडिट एवं एसेसमेंट की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि जीएसटी लागू हुए पांच वर्ष से अधिक हो गए हैं और अभी तक प्रदेश कर विभाग द्वारा विभागीय ऑडिट चालू नहीं हुए हैं। करदाता द्वारा जमा किए गए रिटर्न्स की अब विभागीय स्क्रूटनी चालू हो रही है। इसके दौरान करदाता की गलतियों पर विभागीय नोटिस बढ़ने की भी संभावना है।
सीए कृष्ण गर्ग ने कहा विभाग ही अभी तक लिस्ट नहीं दे पाया है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए कौन-कौन से दस्तावेज अनिवार्य हैं। ऐसे में कई बार तो नए जीएसटी नंबर के लिए 30 दिन तक का समय लग जाता है। कर सलाहकार अमित दवे एवं अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स से नीलेश गुप्ता ने कहा कि जीएसटी में सिमलेस इनपुट टैक्स क्रेडिट की बात कही है, लेकिन असल में इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर कई समस्याएं आ रही हैं।
ऐसे में एक व्यापारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर एक ही समय के लिए विभाग से तीन अलग-अलग समय पर अलग-अलग नोटिस आ रहे हैं। सीए नवीन खंडेलवाल ने कहा कि स्थायी संपत्तियों पर जीएसटी एवं स्टांप ड्यूटी दोनों प्रकार से कर का लगना उचित नहीं है, जब संपत्तियों पर स्टांप ड्यूटी लग जाती है तो फिर उस पर जीएसटी लगाने का क्या औचित्य है?
अभी तक जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन ही नहीं हुआ
प्रमोद डफरिया (एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज), सीए कीर्ति जोशी ने कहा जीएसटी को लागू हुए इतना समय हो गया है, लेकिन अभी तक ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हुआ है, जिसके कारण कई व्यापारियों को न्याय से वंचित होना पड़ रहा है, क्योंकि हर करदाता हाई कोर्ट नहीं जाना चाहता है। कई बार न्याय देरी से मिलता है तो वह न मिलने के बराबर है। बैठक में आरएस गोयल, जेपी सराफ, एससी बंसल, मनीष डफरिया, मौसम राठी, रजत धनुका, अरविंद चावला आदि उपस्थित थे।