उज्जैन। 01 अप्रैल से ई-रजिस्ट्री पोर्टल संपदा 1.0 बंद हो रहा है। इस संबंध में आईजी पंजीयन कार्यालय ने आदेश जारी कर दिए हैं। अब नए वित्तीय वर्ष में संपत्तियों की रजिस्ट्री और दस्तावेजों का पंजीयन संपदा 2.0 पोर्टल के माध्यम से ही होगा। नए पोर्टल में पंजीयन के लिए आने की जरूरत भी नहीं है उसके बावजूद लोगों को कार्यालय आने के लिए बाध्य किया जा रहा है।अप्रैल 2024 में संपदा 2.0 का परीक्षण चार जिलों में शुरू हुआ था। अब संपदा 1.0 जरूरी नहीं रह गया। ऐसे में अब इसे पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया और आदेश जारी हुए। संपदा 2.0 को ज्यादा यूजर फ्रेंडली बनाया है। इतना ही नहीं बैंकों को भी यूजर आईडी दे दिए गए हैं। यानी अब बैंकों को रेवेन्यू टिकट या अनुबंध के लिए स्टाम्प की जरूरत होने पर वेस्वयं ही संपदा 2.0 से निकाल सकेंगे। उन्हें कोर्ट या सर्विस प्रोवाइडरों के पास आने की कोई जरूरत नहीं होगी।आज से क्रेडिट लिमिट भी खत्म-अब 100 का हो या 500 का, सारे स्टाम्प संपदा-2 से ही निकालना होंगे। साथ ही संपदा-1 में अगर क्रेडिट लिमिट बची है तो वो भी खत्म हो जाएगी। अभी संपदा सॉफ्टवेयार से जितनी रजिस्ट्रियां बुक नहीं होतीं, उससे ज्यादा तो ई-स्टाम्प निकलते हैं। रोज जहां 50 से 60 रजिस्ट्रियां होती हैं। वहीं हजारों के ई-स्टाम्प एक ही दिन में निकल जाते हैं। चूंकि संपदा 1.0 में स्टाम्प निकालना आसान है। वहीं छूट के चलते कई सर्विस प्रोवाइडर इसी का उपयोग कर रहे थे। जब से पूरे प्रदेश में संपदा 2.0 लागू किया है, वहां भी दस्तावेज पंजीयन इसी पर शिफ्ट किए गए।आमजन हितैषी संपदा-2.0-संपदा-2.0 को इस तरह से अपडेट किया गया है कि कोई भी अपनी आईडी जनरेट कर काम कर सकेगा। इसका उद्देश्य दस्तावेज पंजीयन के काम को आसान बनाना है। अभी बदलाव देखें तो पेपरलेस प्रणाली अपनाते हुए रजिस्ट्री पीडीएफ फार्मेट में मिल रही है। आईडी वेरिफिकेशन आधार से हो रहा है। प्रॉपर्टी की लोकेशन जीयो टैग से की जा रही है और इसी से मूल्यांकन भी हो रहा। स्टाम्प पर फोटो आदि प्रिंट हो रहे हैं। संपत्तियों की खरीदी-बिक्री के लिए 500 से 1000 के स्टाम्प विक्रय पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही इसमें भ्रष्टाचार रहित कार्यप्रणाली को विकसित किया गया है। यहां तक की आनलाईन दस्तावेज पंजीयन की सुविधा भी है जिसमें संबंधित पक्षों को कार्यालय में आने की जरूरत ही नहीं है। जारी आदेश के कुछ प्रमुख बिंदु…सेवा प्रदाताओं के लिए नवीन क्रेडिट लिमिट लेने की सुविधा 30 मार्च को बंद कर दी जाएगी। 31 मार्च के लिए रजिस्ट्री प्रस्तावित है तो शुल्क पहले जमा कर दें। संपदा 1.0 से रजिस्टर्ड दस्तावेजों को देने से पहले अच्छे से जांच लें, विसंगति होने पर दस्तावेज जारी न करें। अंतिम दिन में रजिस्टर्ड दस्तावेजों का प्रिंट उसी दिन पक्षकारों को दिया जाए। अंतिम दिन में रजिस्टर्ड होने वाले दस्तावेजों के सपोर्ट टिकट निपटाए जाएं, विसंगति होने पर दोबारा से बनाएं ई स्टांप रिफंड के लिए आवेदन 31 मार्च तक रिफंड निवेदन नंबर के आधार पर भेज दें। संपदा-1.0 में प्रस्तुत दस्तावेजों का पंजीयन व विधिक रूप से कार्रवाई कर प्रतिवेदन प्राप्त करें। अपंजीकृत दस्तावेजों जिन्हें उप पंजीयकों द्वारा इंपांउड किया है, उनको तुरंत निराकृत करें।नई गाईड लाईन अपडेट-संपदा-2.0 में नई गाइड लाइन का डेटा अपडेट हो चुका है। इसी के साथ सर्विस प्रोवाइडरों की क्रेडिट लिमिट अपडेट करनी होगी। नए वित्तीय वर्ष में संपदा-1.0 सॉफ्टवेयर पूरी तरह से बंद हो जाएगा। अभी जो सर्विस प्रोवाइडर संपदा -1.0 से स्टाम्प निकाल रहे थे, उन्हें संपदा 2.0 पर शिफ्ट होना होगा। आखिरी दिन उपपंजीयक कार्यालयों में ज्यादा दस्तावेज पंजीयन के लिए आने की स्थिति रही है।ऐसे समझें संपदा 1.0 और व संपदा 2.0 को-संपदा 1.0- पुराने पोर्टल में जमीन की रजिस्ट्री के लिए खसरा, भू-अधिकार, ऋण पुस्तिका, पुरानी रजिस्ट्री, निकाय की रसीद और विभाग की सर्टिफाइड कॉपी स्कैन करके अपलोड करनी होती थी। सर्च रिपोर्ट निकालने मेंनक्शा नहीं होने पर नजरी नक्शा बनवाना पड़ता था। तीन एंगल से फोटो लगाना होते थे, जिसमें एंगल ठीक न होने पर लोकेशन बदलने की आशंका रहती थी रजिस्ट्री की हार्ड कॉपी मिलने में भी देरी होती थी।संपदा 2.0-नए पोर्टल में खसरा नंबर डालते ही संपत्ति का पूरा रिकॉर्ड स्वतः उपलब्ध हो जाता है, जिससे सर्च रिपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती। मोबाइल ऐप से ली गई जियो टैग्ड तस्वीरें लोकेशन की सटीकता सुनिश्चित करती हैं। रजिस्ट्री की कॉपी पीडीएफ मेंतुरंत ई-मेल, वॉट्सएप पर भेजी जाती है। 20+ विभागों के साथ इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेशन से सभी संपत्तियों के लिए यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर और यूनिक आईडी जनरेट की गई है।कार्यालय आने की बाध्यता क्यों –संपदा 2.0 में कोई भी कहीं से भी रजिस्ट्री दस्तावेज पंजीयन करवा सकता है। यहां तक की विदेश में बैठा व्यक्ति भी इस काम को आनलाईन करवा सकता है। इसके बावजूद भी उप पंजीयक कार्यालयों में दस्तावेज पंजीयन करवाने वालों की भौतिक उपस्थिति के लिए बराबर दबाव बनाया जा रहा है। उज्जैन उप पंजीयक कार्यालय में ही ऐसे अनेक मामले सर्विस प्रोवाईडरों के पास हैं जिनमें संबंधित को बाध्य कर कार्यालय बुलाया गया । इस बारे में सूत्रों का कहना है कि भौतिक उपस्थिति में संबंधित को तत्काल दबाव में ले लिया जाता है और लाभ शुभ में देरी नहीं की जाती है। आनलाईन उपस्थिति में सब कुछ रेकार्ड होता रहता है ऐसे में लाभ शुभ के लिए दलाल को तो अवसर ही नहीं मिलता है और संबंधित अधिकारी रेकार्डिंग की परिस्थिति में लाभ शुभ के लिए कुछ नहीं बोल पाते हैं।