मात्र दिखावे के अग्निशमन यंत्र, पंपों पर महिला कर्मचारियों का चलन ज्यादा पेट्रोल पंप पर सुरक्षा ढुंढते रह जाओगे… -कर्मचारी अग्निशमन यंत्रों के उपयोग से अनजान,छोटी सी घटना में हो जाते हैं हैरान,परेशान

 

उज्जैन। पेट्रोल पंप पर हवा भरने के दौरान अगर टायर बस्ट हो जाता है तो उसकी आवाज भर से कर्मचारी डर और सहम जाते हैं। उनके शब्दों से उनकी हैरानी और परेशानी साफ झलकती है। अधिकांश पंपों पर अब महिला कर्मचारी का चलन बढ गया है ऐसे में अग्निशमन यंत्रों के उपयोग की भी उन्हें जानकारी का अभाव है। कुल मिलाकर पेट्रोल पंपों पर सुरक्षा ढुंढते रह जाओगे के हाल हैं।हाल ही में शहर के पेट्रोल पंपों पर हुए छोटे मोटे मामले में सामने आ रहा है कि पंपों पर सुरक्षा की स्थिति गंभीरतम हाल में है। स्थिति यह है कि कुछ पंपों पर तो मापदंडों के अनुरूप अग्निशमन के संसाधनों का ही अभाव है। कुछ पर मात्र दिखावे के लिए छोटे यंत्र लगाकर खानापूर्ति की जा रही है।शहर में रहवासी क्षेत्रों सहित एक दर्जन से अधिक पेट्रोल पंपों का संचालन किया जा रहा है। इनमें से कुछ पंप तो भीड भरे इलाकों में हैं। लेकिन, लगभग सभी में सुरक्षा इंतजाम की स्थिति निम्न ही देखी जा रही है। जिला मुख्यालय के साथ ही हाईवे के हाल भी ऐसे ही हैं। संबंधित विभाग मात्र कुछ पहलुओं को देखकर पंप संचालन को हरी झंडी देते आ रहा है। मुख्य अग्निशमन को लेकर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नियंत्रणकर्ता विभाग की नजर अंदाजी के चलते अब धीरे-धीरे पंपों से बालूरेती की बाल्टी तक गायब होने लगी है।सुरक्षा मानकों की अनदेखी-पेट्रोल पंपों के लायसेंस जारी करने की स्थिति में ही आईल कंपनियों की और से सुरक्षा मापदंडों के पालन को लेकर संचालकों से शपथ पत्र लिया जाता है। शहर में संचालित पेट्रोल पंपों पर लिए पंप संचालकों द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से मानकों की पूर्ति नहीं की जा रही है। नियम अनुसार पेट्रोल पंपों पर दुर्घटनाओं से बचने के लिए बालू, सीओटू सिलेंडर आदि अन्य व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही पेट्रोल पंपों पर अग्निशमन यंत्रों की कमियां देखी जा सकती है। आसपास के दुकानदार रसोई गैस का उपयोग करते हैं। ऐसे में हादसों से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ पंपों पर तो अग्निशमन यंत्र की मियाद ही समाप्त हो चुकी है। इमरजेंसी के दौरान वे अनुपयोगी के हाल में हैं। अधिकतर पेट्रोल पंपों पर धुम्रपान निषेध या फिर  नो स्मोकिंग के सूचना पट्ट गायब हैं।नहीं हो रहा नियमों पर अमल-नियमानुसार मुख्य मार्ग से पेट्रोल पंप की दूरी 52 फीट होनी चाहिए। शहर के कुछ पेट्रोल पंप इस मानक पर खरा नहीं उतर रहे। कुछ ही पंपों पर फायर बाटल देखी जा रही है। कई पंपों पर बाल्टी में रेत ही नहीं है। अधिकांश पंप पर उपभोक्ता सुविधा मात्र दिखावा बनकर रह गई है। आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिए फर्स्ट एड बॉक्स सामने कहीं नहीं दिखता है। 24 घंटे उपभोक्ता के लिए पेयजल की व्यवस्था वर्तमान गर्मी के मौसम में भी दिखाई नहीं दे रही है। हवा भरने के लिए कर्मचारी कभी होता है और कभी नहीं।

 

Author: Dainik Awantika