उज्जैन। मुख्यमंत्री के गृहनगर का हर मार्ग पार्किंग बना हुआ है। यातायात में 2 डीएसपी के साथ निरीक्षक और पूरा स्टॉफ है। बावजूद जाम से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। गुरूवार को दिखावे की कार्रवाई की गई और कुछ कारों को क्रेन में लटका लिया गया।
शहर में एक ओर टाटा कंपनी लगातार खुदाई कर रही है, मार्गो पर गड्ढे भरे पड़े है। इसके साथ ही हर मार्ग पर कारों की पार्किंग दिखाई दे रही है, जिससे जाम के हालत बन रहे है। यातायात पुलिस के पास 2 डीएसपी स्तर के अधिकारी, निरीक्षक और पूरा अमला होने के बाद भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं आ पा रहा है। गुरूवार को चामुंडा माता मंदिर के पीछे प्रेमछाया से बहादूरगंज की ओर मार्ग पर महिनों से बने कार पार्किंग के साथ टाटा की खुदाई जारी होने पर जाम के हालत बन रहे थे। इस बीच यातायात पुलिस 2 क्रेन लेकर पहुंची और कारों को लटकाना शुरू कर दिया। कुछ कारे जप्त कर थाने पहुंचाई गई, लेकिन प्रेमछाया से भाटगली की ओर जाने वाले मार्ग पर खड़े चार पहिया वाहन दिखाई नहीं दिये। यातायात पुलिस ने कुछ देर कार्रवाई की और टीम वापस लौट गई। जबकि पूरे शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ी हुई है। पुलिस कंट्रोलरूम से जैन मंदिर होते हुए इंदिरागांधी चौराहा तक आने वाला मार्ग भी कारों का पार्किंग स्थल बना हुआ है। यहीं नहीं टॉवर चौक से लेकर फ्रीगंज क्षेत्र की हर गलियों में अघोषित पार्किंग सुबह से लेकर देर शाम तक दिखाई देती है। यहां यातायात पुलिस की नजरें नहीं पहुंच पा रही है। शहर में ऐसे हालत तीनबत्ती चौराहा से माधवनगर रेलवे स्टेशन की ओर आने वाले मार्ग के भी है। यहां कई कार गैरेज है, सड़को पर कारें खड़ी रहती है। देवासगेट रेलवे स्टेशन से लेकर इंदौरगेट होते हुए हरिफाटक ब्रिज की ओर जाने वाला मार्ग भी चार पहिया वाहनों की पार्किंग की वजह से जाम में फंसा दिखाई देता है। यहां खड़ी कारें टूर एंड ट्रेवल्स में उपयोग हो रही है। यही नहीं मार्ग पर कई होटले, गेस्ट हाऊस, लॉज, धर्मशाला है, बाहर से आने वाले यात्रियों के वाहनों को भी यही पार्क कर दिया जाता है। जबकि इस मार्ग पर यातायात पुलिसकर्मी प्रतिदिन चालानी कार्रवाई करते देखे जा सकते है। लेकिन जाम के चलते बिगड़ने वाली व्यवस्था दिखाई नहीं देती है।
पुराने शहर की गलियोंं से निकला दूभर
महाकाल लोक बनने के बाद पुराने शहर की हर गलियों में होटल, गेस्ट हाऊस खोल लिये गये है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु के वाहनों को गलियों में पार्क कराया जा रहा है। यहीं नहीं होटल, गेस्ट हाऊस वालों ने अपने वाहन भी खरीद रखे है, जो दिनभर उनकी होटलों के सामने खड़े रहते है। अगर श्रद्धालुओं को औंकारेश्वर या अन्य धार्मिक स्थलों पर जाना होता है तो उनके वाहनों का उपयोग किराये के रूप में किया जाता है। पुराने शहर में रहने वाले लोगों को गलियों से गुजरने में काफी दिक्कत उठानी पड़ती है। किसी से कुछ बोल नहीं सकते है। विवाद खड़ा हो जाता है।
रिक्शा-आटो पर अंकुश नहीं
यातायात पुलिस का आटो, ई-रिक्शा वालों पर से तो अंकुश ही खत्म हो गया है। इनकी मनमानी पूरे शहर में ऐसी है कि जहां इच्छा होती है खड़े हो जाते है। मर्जी पड़ते ही रिक्शा को घूमा लेते है। पिछले वर्ष यातायात पुलिस ने नियम बनाया था और रिक्शा-आटो पर लाल-पीले पट्टे लगाये थे। शिफ्ट में संचालन करने के निर्देश दिये थे, लेकिन अब खुद यातायात पुलिस अपने नियमों को भूल चुकी है। परेशान दिखाई दे रहा है तो शहर का आम नागरिक।