कोई माई का लाल वाली चुनौती देने वाले शिवराज ब्राह्मणों को साध रहे
मिशन 2023 के लिए 10 प्रतिशत ब्राह्मण साधे; कोर्स में पढ़ाए जाएंगे परशुराम, पुजारियों को 5000 रुपए मानदेय
ब्रह्मास्त्र भोपाल। कोई माई का लाल जैसे चुनौतीपूर्ण शब्द बोलने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अब शायद सवर्णों का राजनीतिक महत्व समझ में आने लगा है। यही वह चुनौती थी जिसने सवर्णों को नाराज कर दिया था और शिवराज सत्ता से बाहर हो गए थे। मप्र में 25 हजार से अधिक पुजारी और कुल आबादी के 10 फीसदी ब्राह्मणों को साधने की तैयारी हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को भगवान परशुराम जयंती के कार्यक्रम में तीन घोषणाएं करके इस तरफ कदम बढ़ाया है। यही काम कांग्रेस की सरकार ने भी किया था।
भाजपा जानती है कि मप्र की 230 विधानसभा में से हमेशा 25 से लेकर 35 तक ब्राह्मण विधायक रहे हैं। हर सीट पर 15 से लेकर 25 हजार वोटों का प्रभाव है। सीएम ने कहा कि ऐसे मंदिर जहां जमीनें मंदिर से नहीं लगी हैं, वहां के पुजारियों का मानदेय 5000 रुपए होगा।
पुजारियों का बढ़ाया मानदेय
शिवराज की घोषणा और उनके मायने
जिन मंदिरों में जमीनें नहीं, वहां के पुजारियों को 5000 रु. मानदेय दिया जाएगा। कांग्रेस की पिछली सरकार ने 2019 में तीन गुना बढ़ाकर 3000 किया था। तब पांच व 10 एकड़ जमीन वाले मंदिर के पुजारियों का भी क्रमश: मानदेय 700 से 2100 रुपए व 520 से 1560 रुपए बढ़ा था।
हिंदुत्व की सियासत- परशुराम का जीवन-चरित्र स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। भाजपा इससे पहले आदि शंकराचार्य और श्रीमद् भागवत गीता के साथ कॉलेजों में रामचरित मानस तक पढ़ाने की कवायद कर चुकी है। भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व की सियासत पर भी अपनी बिसात बिछाएगी।