बाटला हाउस एनकाउंटर पर फैसला:इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज को फांसी की सजा
नई दिल्ली
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सोमवार को इंडियन मुजाहिदीन (IM) के आतंकी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना है। आरिज को दिल्ली में 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े एक मामले में 8 मार्च को दोषी करार दिया था।एनकाउंटर के दौरान आरिज भाग निकला था। 2018 में उसे नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने उसे धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट में दोषी करार दिया था। इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा शहीद हो गए थे। आरिज को इसी मामले में सजा सुनाई गई है।दिल्ली के पूर्व जॉइंट पुलिस कमिश्नर करनाल सिंह ने कहा कि किसी एनकाउंटर के खिलाफ अपील करने के लिए एक प्रक्रिया होती है। लोगों को इसके रिजल्ट का इंतजार करना चाहिए और फिर कमेंट करना चाहिए। नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने बाटला हाउस एनकाउंटर की जांच की और इसे सही बताया था। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी यह बात मानी है।उन्होंने कहा कि बिना सबूत लोगों को किसी एजेंसी के खिलाफ टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। आज के फैसले से पता चलता है कि पुलिस ने सही जांच की और इसका श्रेय एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए मोहन चंद शर्मा और संजीव के यादव को जाता है। बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों को खोजने में मदद मिली और उनके नेक्सस का पर्दाफाश हो सका। वहीं, दिल्ली स्पेशल सेल के DCP संजीव कुमार यादव ने कहा कि यह बहुत अच्छा फैसला है। इससे एनकाउंटर में शामिल पुलिस और टीम का मनोबल बढ़ेगा। मुठभेड़ में जान गंवाने वाले इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के लिए यह एक सच्ची श्रद्धांजलि है। DCP संजीव कुमार यादव ने बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान एक टीम को लीड किया था।उन्होंने कहा कि मैंने इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के साथ 4 साल से ज्यादा काम किया था। वह बहुत प्रोफेशनल ऑफिसर थे। यह राहत की बात है कि उनके हत्यारे को मौत की सजा मिली है। इस मामले में की गई राजनीति ने हमें प्रभावित नहीं किया, क्योंकि हमारा ध्यान अपनी जांच पर रहा। हमारे सीनियर अफसरों ने दबाव को संभाला और उसे हम तक नहीं पहुंचने दिया।
सजा पर बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा था
सोमवार को कोर्ट में बहस के दौरान आरिज की ओर से एडवोकेट एमएस खान ने अपनी दलील रखी। उन्होंने आरिज की कम उम्र का हवाला दिया और उसके लिए कोर्ट से उदारता दिखाने की मांग की। वहीं, वरिष्ठ लोक अभियोजक एटी अंसारी ने मृत्युदंड की मांग की और कहा कि यह कानून प्रवर्तन अधिकारी एवं न्याय के रक्षक की नृशंस हत्या है। इस घटना से पूरा समाज स्तब्ध था। इसके बाद कोर्ट ने शाम 4 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर
दिल्ली के बाटला हाउस में 19 सितंबर 2008 की सुबह एनकाउंटर हुआ था। उससे ठीक एक हफ्ता पहले 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में 5 जगहों पर ब्लास्ट हुए थे। तीन जिंदा बम भी मिले थे। 50 मिनट में हुए इन पांच धमाकों में करीब 39 लोग मारे गए थे।दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल धमाकों की जांच कर रही थी, तब वह बाटला हाउस में एल-18 नंबर की इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंच गई थी। वहां इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से मुठभेड़ हुई। मरने वाले 2 संदिग्ध आजमगढ़ के थे। 2 गिरफ्तार हुए थे। एक फरार हो गया था।
फेक एनकाउंटर के आरोप लगे
इस एनकाउंटर में टीम का नेतृत्व कर रहे मोहन चंद्र शर्मा को तीन गोलियां लगी थीं और उसी दिन उनकी होली फैमिली अस्पताल में मौत हो गई थी। इस दौरान मानवाधिकार संगठनों ने बाटला हाउस एनकाउंटर को फेक बताया। दिल्ली हाईकोर्ट ने जांच के आदेश भी दिए थे। दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट मिली थी। 2013 में अदालत ने शर्मा की हत्या के आरोप में शहजाद अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।