छोटे राजनीतिक दल बने टैक्स चाेरी का बड़ा जरिया : इंदौर के 100 करदाताओं को नोटिस
इंदौर। इनकम टैक्स बचाने के लिए छोटे और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चंदा देकर टैक्स चोरी करने का बड़ा घपला उजागर हुआ है। आयकर विभाग ने इस मामले में शहर के 80 से 100 करदाताओं को धारा 148(ए) के तहत नोटिस जारी किए हैं। इसमें दान को फर्जी बताते हुए पूछा है कि क्यों न आयकर में ली गई छूट को अमान्य किया जाए।
इसमें जिन राजनीतिक दलों के नाम सामने आए हैं, उनमें से कुछ गुजरात के हैं। ये सभी चुनाव आयोग से पंजीकृत हैं। इन्हें मिलने वाली दान राशि पर आयकर में छूट का प्रावधान है। हालांकि इन पार्टियों ने आज तक एक भी चुनाव नहीं जीता है। इस वजह से इनकी खास पहचान भी नहीं है।
इसी का फायदा उठाते हुए कुछ आयकरदाताओं ने इन दलों को चेक के माध्यम से दान में राशि दी और फिर वही पैसा 7 से 10 फीसदी कमीशन काटकर वापस ले लिया। इसका फायदा ये हुआ कि राजनीतिक दल को दान देने के बदले उन्हें धारा 80 (जीजीबी) और 80 (जीजीसी) के तहत इनकम टैक्स से राहत मिल गई।
यानी जितना पैसा उन्होंने दान दिया, उससे कहीं ज्यादा इनकम टैक्स बच गया। विभाग पता करने में जुटा है कि इस तरह से कितनी राशि का लेन-देन कर टैक्स चोरी की।
इन दलों के नाम सामने आए
मानवाधिकार नेशनल पार्टी
किसान अधिकार पार्टी
किसान पार्टी ऑफ़ इंडिया
लोकशाही सत्ता पार्टी
ऐसे हो रही टैक्स की चोरी
एक करोड़ से अधिक की आय पर 33 प्रतिशत आयकर चुकाना होता है। इस हिसाब से 1.01 करोड़ रुपए की आय पर 33.22 लाख का टैक्स चुकाना होगा। टैक्स में फायदा लेने के लिए 10 लाख का डोनेशन देकर आय 91 लाख दिखाई जाती है। इस राशि पर निचली टैक्स दर के अनुसार करीब 29.08 लाख का टैक्स लगता है और 4.14 लाख की बचत होती है। इसके एवज में महज 70 हज़ार से एक लाख रुपए का कमीशन देकर करदाता करीबन 3.44 से 3.14 लाख रुपए का अतिरिक्त टैक्स देने से बच सकते हैं।
इसलिए करते हैं कर चोरी
1. कर विशेषज्ञ बताते हैं कि इस धारा के तहत डिडक्शन का क्लेम वे करदाता करते हैं, जिनकी सालाना आय 1 करोड़ से अधिक होती है और उन्हें आयकर के साथ सरचार्ज देना होता है। 2. ऐसे करदाता को हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (एचएनआई) श्रेणी में रखते हैं। आय पर 40% तक टैक्स लेते हैं। धारा 80 (जीजीसी) व 80 (जीजीबी) में बिना लिमिट छूट मिलती है। 3. अन्य सभी डिडक्शन में सालाना लिमिट होती है, जिससे ज्यादा खर्च करने पर छूट नहीं मिलती। इसलिए करदाताओं के लिए यह एक सुरक्षित रास्ता है, अपनी कर देयता कम करने का। 4. पिछले कुछ सालों में कई प्रकार की आय पर कर बढ़ाया गया है, जिसका असर एचएनआई पर हुआ।