हरियाणा सरकार को समर्थन मूल्य से कम कीमत में गेहूं बेचने पर मजबूर इंदौर- उज्जैन के किसान
हरियाणा को तो धमकी दे दी पर ,अपने किसानों की भी तो समस्या समझिए कृषि मंत्री कमल पटेल जी , पैसे काट लेते हैं और भुगतान भी समय पर नही
इंदौर/ उज्जैन। मध्य प्रदेश के किसानों से हरियाणा सरकार द्वारा समर्थन मूल्य से कम पर 22 हजार टन गेहूं खरीदने के मामले में दोनों राज्य सरकारें आमने-सामने है। मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल ने मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। मंत्री पटेल का कहना है कि जरूरत पड़ी तो किसानों को धोखे में रखकर उनकी उपज का कम मूल्य देने पर संबंधित व्यापारी के खिलाफ एफआईआर भी कराई जाएगी।
उधर, हरियाणा स्टेट को ऑपरेटिव सप्लाय एंड मार्केटिंग फेडरेशन (हैफेड) के एमडी ए श्रीनिवासन ने दो टूक कहा है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित करना मप्र सरकार की जिम्मेदारी है, हमारी नहीं। हमें तो इंदौर, उज्जैन सहित 5 मंडियों में जिस भाव पर गेहूं मिला, खरीद लिया।
अहम सवाल यह है कि कृषि मंत्री कमल पटेल ने तो एफआईआर और अन्य कार्यवाही की धमकी दे दी, परंतु कृषि मंत्री जी! जरा किसानों की समस्या भी तो समझिए और सुनिए, जिन्हें मजबूरी में कम कीमत में हरियाणा सरकार को गेहूं बेचना पड़ रहा है।
छलावे से किसान परेशान
उज्जैन के किसान मप्र सरकार द्वारा किए जा रहे छलावे से परेशान हैं। मध्य प्रदेश सरकार सोसायटी द्वारा 2015 रुपये के प्रति क्विंटल के रेट से किसान की फसल खरीद रही है, लेकिन महीनों तक किसान को अपनी फसल का भुगतान नहीं मिल रहा है। परेशान होकर किसान हरियाणा सरकार को अपनी फसल बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। हरियाणा सरकार किसानों से 1862-72 प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीद रही है।
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खराब गेहूं बताकर रुपए काट लेते हैं, भुगतान भी दो- तीन महीने बाद
उज्जैन के किसानों ने दैनिक अवंतिका से साझा की अपनी समस्या
उज्जैन जिले के किसान धर्मेंद्र यादव का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार हमारे गेहूं को खराब बता कर वापस कर देती है। 50 – 60 रुपये काट लेती है और 3- 3 महीने तक भुगतान नहीं हो पाता। हमें मजबूरी में हरियाणा सरकार को बेचना पड़ रहा है। हरियाणा सरकार के लोग आते हैं और सीधे गेहूं ले जाते हैं, परंतु वे 1800 रुपये में खरीदते हैं, जिससे हमें प्रति क्विंटल 200 से 250 रुपये का नुकसान होता है।
किसान अशोक जाट ने बताया कि मैं यहां शिवराज मामा की पोल खोलने आया हूं, जो खुद को किसान हितैषी सरकार बताते हैं। सरकार किसानों का गेहूं 2015 रुपये समर्थन मूल्य पर खरीद रही है, परंतु जब किसान गेहूं लेकर जाते हैं तो वहां कई दल्ले बैठे हैं। जो उनका गेहूं गलत बता देते हैं। उषा मंगल गेहूं लेने से मना कर देते हैं। उसमें मिट्टी भी नहीं है, चूरी भी नहीं है। हमें लगता है कि किसानों के साथ छलावा हो रहा है। मुख्यमंत्री जी किसानों के साथ इस लूट को बंद करवाए। किसान मंडी में गेहूं लेकर इसलिए सोसायटी नहीं जा रहा है, क्योंकि उसे पेमेंट 2-2, 3-3 माह बाद मिलता है। उसका पैसा काट लिया जाता है।
ग्राम पंडारिया के किसान जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि सोसायटी में 2015 रुपए में गेहूं बिकता है, लेकिन हरियाणा सरकार ने हमसे 1872 रुपये में खरीदा। हमें यह मजबूरी में बेचना पड़ रहा है, क्योंकि सरकार का पैसा दो- दो महीने तक नहीं आ पाता। हमें मजबूरी में हरियाणा सरकार को यह गेहूं बेचना पड़ रहा है, क्योंकि वह नगद पैसा दे देते हैं।