शिवाजी महाराज को आज की युवा पीढ़ी को आदर्श मानने की जरूरत-चौहान
अकोदिया मंडी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अकोदिया खंड में संघ के 6 उत्सव में से एक हिंदू साम्राज्य दिनोउत्सव को अकोदिया नगर टोली द्वारा समाज उत्सव के रूप मे मनाया गया। सार्वजनिक धर्मशाला में आयोजित कार्यक्रम में देवास विभाग संघचालक महेंद्र धनगर,जिला प्रचारक रजत चौहान व नगर कार्यवाह मुकेश मेवाड़ा मंचासीन रहै। अमृत वचन व गीत के पश्चात हिंदू साम्राज्य दिनों उत्सव के निमित्त मुख्य वक्ता जिला प्रचारक श्री चौहान ने कई बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिवाजी उर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे। शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म १९ फरवरी, १६३० को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनका बचपन राजा राम, गोपाल, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता। वह सभी कलाओ में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी। श्री चौहान्ं ने कहा कि शिवाजी के पिता अप्रतिम शूरवीर थे। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को समझने लगे थे। शाहजी भसले पहले अहमदनगर के निजाम थे और बाद में बीजापुर के दरबार में नौकरी करने लगे 7 शिवाजी के पालन पोषण का दायित्व पूरा उनकी माता जीजाबाई पर था।
श्री चौहान ने बताया कि शिवाजी बचपन से ही बहुत साहसी थे 7 कहा जाता है उनकी माता बहुत धार्मिक प्रवर्ति की थी। माता जीजाबाई बचपन में शिवाजी को वीरता की कहानिया सुनाया करती जिसका प्रभाव शिवाजी पर पड़ा। शिवाजी के गुरु स्वामी रामदास थे जिन्होंने शिवाजी की निर्भीकता,अन्याय से जूझने की सामर्थ्य और संगठनात्मक योगदान का विकास किया। श्री चौहान ने कहा कि शिवाजी जैसे ही संस्कार व निर्माण कि आवश्यकता आज की युवा पीढ़ी में देने कि है ताकि पुन:भारत को कोई आक्रांता लूट न सके और ना ही शिक्षा व संस्कार व धर्म के साथ छेड़छाड़ करने का कोई साहस ना कर सके। कार्यक्रम में २१० लोगों की उपस्थित रहे।