शिमला-मनाली में फरारी काट रहे थे हत्यारे, भोपाल-सीहोर से मददगार गिरफ्तार
इंदौर। हिस्ट्रीशीटर अनिल दीक्षित हत्याकांड के तीनों आरोपी शिमला और मनाली में फरारी काट रहे थे। गिरफ्तारी के डर से दिन में दो बार लोकेशन बदलते थे। पुलिस ने मोबाइल व आइपी लोकेशन के आधार पर राजस्थान सीमा से आरोपितों को पकड़ लिया। फरारी में मदद करने वाले दो युवकों को भी गिरफ्तार किया है।
एडिशनल डीसीपी जोन-3 राजेश रघुवंशी के मुताबिक मल्हारगंज थाना क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर अनिल बाबा दीक्षित की गुंडे शानू सागर और चयन सीके ने 12 जुलाई को न्यायनगर (हीरानगर) में गोली मारकर हत्या कर दी थी। नीले रंग की जिस कार से आरोपी आए, उसमें साथी निकुंज भी बैठा हुआ था। वारदात के बाद आरोपित देवास, हरदा होते हुए भोपाल, जयपुर और शिमला-मनाली पहुंच गए। पुलिस मोबाइल लोकेशन के आधार पर पीछा करती रही। गुरुवार को तीनों आरोपितों को राजस्थान सीमा से गिरफ्तार कर लिया।
जिस कार से फरार हुए वह गुजरात की थी। टीआइ (क्राइम ब्रांच) धनेंद्रसिंह भदौरिया के मुताबिक आरोपियों की रवि शर्मा (सीहोर) व बादशाह कुशवाह (भोपाल) ने मदद की थी। पुलिस ने दोनों को फरार आरोपितों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। रवि की आईडी से होटल व गेस्ट हाउस बुक करवाए थे। टीआई के मुताबिक जिस कार से फरार हुए वह गुजरात के रवि देवजानी की है। रवि को धमकाकर रुपये वसूलने के मामले में गुजरात पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। सीके व शानू ने कार हरदा में छुपा दी थी। शुक्रवार को पुलिस रिमांड लेकर आरोपियों की निशानदेही पर कार को जब्त कर लिया है।
उज्जैन की दुर्लभ कश्यप गैंग से मरवा डाला
पुलिस के मुताबिक विवाद की शुरुआत मल्हारगंज के सनी और विक्की यादव के बीच हुए झगड़े से हुई है। अनिल दीक्षित के करीबी विक्की ने एक मकान को लेकर पिटाई कर दी थी। सनी ने शानू को शराब पार्टी दी और बदला लेने के लिए उकसाया। शानू ने नशे में छोटा बांगड़दा स्थित अनिल का आफिस फोड़ दिया। अनिल के करीबी जितेंद्र उर्फ जानू ने शानू को घेर कर तलवार मार दी। शानू को डर था कि अनिल उसकी हत्या करवा देगा। इसलिए उज्जैन से दुर्लभ कश्यप गैंग के सदस्य सीके को बुला कर अनिल को मार डाला। मामले में एरोड्रम के लकी चौहान की भूमिका की जांच भी चल रही है।