26 मई को लगने वाले चंद्रग्रहण का महाकाल में कोई असर नहीं
उज्जैन।26 मई को वैशाख पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्रग्रहण धार्मिक नगरी उज्जैन में मान्य नहीं होगा। क्योंकि यह ग्रहण उज्जैन ही नहीं बल्कि भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखाई ही नहीं देगा। इसलिए इस ग्रहण की कोई धार्मिक मान्यता नहीं होगी व ग्रहण के दौरान महाकाल मंदिर में नियमित आरती-पूजा आदि चलते रहेंगे।उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बावाला ने बताया कि वर्ष 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लग रहा है जो दोपहर में 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा व शाम 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण चूंकि भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखाई ही नहीं देगा। शास्त्रों में मान्यता है कि जब ग्रहण दिखाई न दे तो उस स्थान पर उसका सूतककाल भी नहीं माना जाता है। इसलिए भारत सहित उज्जैन में भी चंद्र ग्रहण की मान्यता नहीं रहेगी। मंदिरों व घरों में ग्रहण के दौरान लोग पूजा-पाठ आदि धार्मिक कार्य कर सकेंगे। महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण भारत सहित खासकर उज्जैन में भी दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसकी यहां कोई मान्यता नहीं रहेगी। मंदिर में नियमित होने वाली आरती-पूजा आदि व्यवस्थाएं निरंतर चलती रहेगी। 26 मई को पड़ने वाला वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण दरअसल उपछाया ग्रहण होगा। धर्म-शास्त्र के अनुसार उपछाया ग्रहण के किसी भी तरह के धार्मिक प्रभाव नहीं माने जाते हैं। यह ग्रहण विदेशों में दिखाई देगा। ज्योतिष की दृष्टि से देखे तो यह चंद्र ग्रहण सबसे ज्यादा प्रभाव वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र पर दिखाएगा।साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है जो कि अमेरिका, पूर्वी एशिया, उत्तरी यूरोप, प्रशांत महासागर और ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों में पूरी तरह से दिखाई देगा, जबकि भारत में यह उपछाया के रूप में नजर आएगा। इसलिए इस ग्रहण की यहां कोई मान्यता नहीं होगी। इसका सूतक भी मान्य नहीं है।
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