रक्षाबंधन पर नहीं लगेगा भद्रा दोष, शंकराचार्य मठ इंदौर के प्रभारी डॉ. गिरीशानंद जी महाराज ने दिए शास्त्रोक्त प्रमाण-
11 अगस्त को सुबह 10:39 बजे से शाम 5:51 बजे तक बांध सकते हैं राखी, भद्रा दोष नहीं लगेगा
-भद्रा तो है पर इसका परिहार्य भी है
योगेंद्र जोशी
इंदौर। इस बार रक्षाबंधन के मुहूर्त और दिनभर भद्रा व्याप्त रहने के कारण विद्वानों द्वारा अलग-अलग मत व्यक्त किए जा रहे हैं। ऐसे में शंकराचार्य मठ इंदौर के प्रभारी डॉ. गिरीशानंद जी महाराज ने शास्त्रोक्त प्रमाण देते हुए दावा किया है कि 11 अगस्त को सुबह 10.39 बजे से शाम 5.51 बजे तक राखी बांधी जा सकती है। ज्योतिष एवं द्वारका पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती के प्रतिनिधि डॉ. गिरीशानंद जी महाराज का कहना है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा तो है लेकिन इसका परिहार्य भी है। रक्षाबंधन के मुहूर्त को लेकर दुविधा इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि श्रावणी, रक्षाबंधन एवं होलिका दहन भद्रा नक्षत्र व्याप्त रहने पर विशेष रूप से वर्जित माना जाता है।
महाराज श्री ने बताया कि 11 अगस्त दिन गुरुवार को पूर्णिमा सुबह 10 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होकर दूसरे दिन 12 अगस्त शुक्रवार को 7 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। दूसरे दिन शुक्रवार को पूर्णिमा 3 मुहूर्त व्यापिनी नहीं है। अतः पूर्णिमा 11 अगस्त गुरुवार को ही मान्य होगी। गुरुवार को विष्टि (भद्रा) सुबह 10 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होकर रात्रि 08 बजकर 51 मिनट तक है। शास्त्रों में कहा गया है- भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा… यानी श्रावणी, रक्षाबंधन एवं होलिका दहन भद्रा में विशेष रूप से वर्जित है। लेकिन शास्त्रों में ही इसका परिहार्य भी दिया गया है।
भद्रादिदोषपरिहार्य-
1. दिवा भद्रा यदा रात्रौ रात्रि भद्रा यदा दिने।
न तत्र भद्रादोषस्तु सा भद्राभद्रदायिनी।।
(अर्थ- दिन की भद्रा यदि रात्रि में और रात्रि की भद्रा दिन में समाप्त होती है तो भद्रा दोष नहीं होता है और भद्रा कल्याणकारी हो जाती है।)
2. विष्टि (भद्रा) अंगारकश्चैव व्यतिपातश्च वैधृतिः।
प्रत्यरिः जन्म तारा च मध्याह्नात् परतः शुभाः।।
(अर्थ- भद्रा,अंगारक, व्यतिपात, वैधृति और प्रत्यरि जन्म तारा दोपहर के बाद शुभ हो जाती है।)
3. गुरुवार की भद्रा मंगलकारी होती है।
श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन का निर्णय –
सुप्रसिद्ध धर्म ग्रंथों निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि, कालमाधव, निर्णयामृत आदि के अनुसार 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि दो मुहूर्त से कम होने के कारण 11 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म व रक्षा बंधन शास्त्र सम्मत है।
भद्रा निर्णय-
मुहूर्त चिंतामणि 1/45 के अनुसार मकर राशि के चंद्रमा में भद्रा वास पाताल में होने से इस दिन मकरस्थ चंद्रमा की भद्रा को पीयूषधारा, मुहूर्त गणपति, भूपाल बल्लभ आदि ग्रंथों में अत्यंत शुभ व ग्राह्य बताया गया है ( वृहद् दैवज्ञ-रंजन 26/40) मुहूर्त प्रकाश में तो स्पष्ट कहा गया है कि आवश्यक कार्य में मुख मात्र को छोड़कर संपूर्ण भद्रा में शुभ कार्य कर सकते हैं। भद्रा का मुख सायं 5.51 बजे से प्रारम्भ हो रहा है। अतः पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ प्रातः 10.39 बजे से सायं 05.51 बजे तक का संपूर्ण समय श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन के लिए पूर्णरूपेण शुद्ध है।
निर्णयामृत धर्म ग्रंथ के अनुसार-
श्रावणी उपाकर्म (जनेऊ धारण) भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा व धनिष्ठा नक्षत्र में नहीं हो सकता है। इस कारण भी 11 अगस्त को ही प्रातः 10.39 से सायंकाल 05.51 के मध्य सम्पूर्ण समय उपाकर्म व जनेऊ धारण के लिए शुभ है। यहां भी पूर्ववत् भद्रा का कोई दोष नहीं है ।
निर्णय का सार-
11 अगस्त 2022 को प्रातः 10.39 बजे से सायं 05.51 बजे तक बिना किसी संकोच या दुविधा के श्रावणी उपाकर्म (जनेऊ धारण) व रक्षाबंधन मनाएं तथा पर्वों की एकरूपता बनाए रखें।