मास्टर प्लान की आॅनलाइन सुनवाई पर अखाड़ा परिषद का एतराज, उज्जैन में ही आपत्ति सुनें अफसर
उज्जैन। उज्जैन के मास्टर प्लान 2035 को लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग भोपाल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आपत्ति कतार्ओं की सुनवाई रखने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने एतराज जताया है। शासन की ओर से जारी पत्र में प्रस्तुत आपत्तियों की सुनवाई 26 अगस्त को गूगल मीट आॅनलाइन माध्यम से करना तय किया गया है। इस पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज हरिद्वार ने कहा कि मामला सिंहस्थ 2028 से जुड़ा होकर बेहद गंभीर है लेकिन मध्य प्रदेश शासन के आला अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। आॅनलाइन माध्यम से आपत्ति एवं सुझावों की सुनवाई की बजाए भोपाल के अफसर उज्जैन पहुंचे और संबंधित आपत्तिकतार्ओं से सुनवाई करें। विकास एवं आवास विभाग की अवर सचिव सुप्रिया पेंडके की और से जारी पत्र में 26 अगस्त को दोपहर में मात्र 40 मिनट का समय सभी 26 आपत्तिकतार्ओं की सुनवाई के लिए नियत किया है। इस पर महंत रवींद्र पुरी जी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि महज इतने से समय में कैसे और क्या सुनवाई होगी या हम समझ सकते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पहले ही साफ कर चुका है कि सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी, दाऊदखेड़ी एवं शिप्रा नदी से सटे जरूरी क्षेत्रों जरूरी क्षेत्रों को सिंहस्थ 2028 हेतु आरक्षित किया जाए। लेकिन कतिपय भू माफियाओं व बिल्डरों के दबाव प्रभाव के चलते मामले पर उचित कार्रवाई नहीं हो पा रही। पूर्व में भी अखाड़ा परिषद की ओर से प्रस्तुत आपत्ति का स्थानीय समिति द्वारा मनमाना निराकरण कर दिया गया था। यदि अब इस मामले में शासन की ओर से सिंहस्थ मेला के हित में निर्णय नहीं लिया गया तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद उच्च न्यायालय की शरण लेगा। इसके लिए 3 अभिभाषकों की पैनल ने मामले से संबंधित सभी तथ्य, दस्तावेज व मेला संबंधित रिकॉर्ड जुटाना शुरू कर दिया है।