गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी आज आधी रात, प्रातः हुआ पंचामृत स्नान
18 करोड़ में जीर्णोद्धार के बाद मूल स्वरूप में लौटा 190 साल पुराना मंदिर
इंदौर। शहर के 190 साल पुराने गोपाल मंदिर का जीर्णोद्वार लगभग पूरा हो गया है। 5 साल में 18 करोड़ की लागत से बने इस मंदिर के जीर्णोद्धार से इसका रूप निखर गया है। इस प्राचीन मंदिर में जन्माष्टमी पर विशेष और आकर्षक साज-सज्जा की गई है। यहां आज 18 अगस्त को रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस बार भक्तों के मंदिर विशेष इसलिए रहेगा कि पांच साल से चल रहे जीर्णोद्धार के चलते इसका मूल रूप निखर आया है। मंदिर को देखने के लिए भक्तजन काफी आतुर हैं और इस बार लाखों आंखें इस मंदिर के खूबसूरत स्वरूप को निहारेंगी।
1832 में बना था मंदिर
गोपाल मंदिर का निर्माण 1832 में महाराजा यशवंतराव होलकर की पत्नी कृष्णाबाई होलकर ने कराया था। वे भगवान कृष्ण की परम भक्त थीं। मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियों के अलावा भगवान वरुण, वाराह अवतार, पद्मावती लक्ष्मी देवी की मूर्तियां भी हैं। उस समय इस मंदिर का निर्माण 80 हजार में हुआ था। मंदिर परिसर करीब सवा एकड़ में है। खास बात यह कि पूरा मंदिर पत्थरों और लकडियों से बना है। यहां मंदिर के अलावा आश्रय स्थल पत्थरों, लकड़ी और लोहे से बने हैं। बीते सालों में मूल मंदिर को छोड़कर आसपास का पूरा हिस्सा काफी जर्जर हो गया था। ऐसी खतरनाक स्थिति बन गई थी कि नगर निगम को कुछ हिस्सों को हटाना पड़ा था।
रात 12 बजे मनेगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
मंदिर के पुजारी बालमुकुंद पाराशर ने बताया कि गुरुवार सुबह 5 बजे भगवान का पंचामृत स्नान होगा। इसके साथ ही उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाएंगे। फिर शृंगार करने के बाद उन्हें बाल भोग के रूप में मिश्री व माखन तथा पंचमेवे के लड्डू का भोग लगाएंगे। फिर शृंगार आरती होगी। इसके बाद प्रसादी वितरिण होगा। शाम को 11 विद्वानों द्वारा भगवान का अभिषेक होगा। पूजन होगा और महाआरती होगी। रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा।