गाय के बछड़े की पूजा कर पुत्रों के स्वस्थ और दीघार्यु जीवन की कामना
रुनीजा। हमारे देश , प्रदेश में प्रतिदिन किसी न किसी धर्म, संप्रदाय व समाज के व्रत त्यौहार उत्सव आते हैं। और हम लोग बड़े उत्साह व धूमधाम से व्रत उत्सव मनाते हैं लेकिन यह व्रत और त्योहार हमें उत्सव आनंद के साथ-साथ कुछ ना कुछ नया संदेश भी देते हैं। ऐसा ही एक व्रत बच्च बरस का आता है। जो यह संदेश देता है कि घर में प्रत्येक व्यक्ति का पढ़ा लिखा वह समझदार होना आवश्यक है ।इस व्रत में यह बताया जाता है कि गांव की एक अनपढ़ व नासमझ बहू द्वारा अपनी सास की बात को गलत तरीके से सुनने पर उसने गांव की रोटी व मूंग की सब्जी की जगह गाय के बछड़े गवले व मुंगले को मारकर सब्जी बना देती है।जिससे गाय माता ने श्राप दिया कि मेरे बेटे की तरह तुम्हारे बेटे भी मारे जाएंगे। उक्त श्राप से मुक्ति के लिए परिवार के लोगों ने गाय माता की पूजा अर्चना कर इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा तब गाय माता ने कहा कि पुत्रों की मां इस दिन गाय के दूध से बनी वस्तुओं का कोई चीज का सेवन नहीं करेगी और नहीं घर में कोई सब्जी काटी जाएगी तथा न ही गेहूं के गेहूं की रोटी मूंग की सब्जी बनेगी ।तब से पुत्रों की माता है अपने पुत्रों के स्वस्थ जीवन लंबी उम्र के लिए गाय बछड़े की पूजा कर उनके गोबर की पूजा कर इस दिन भैंस के दूध की चाय पीती है तथा प्रत्येक घर में इस दिन गेहूं की मूंग की दाल सब्जी नहीं बनती और ना ही कोई काटा पीटी की जाती है। इस पर्व को आज सुबह से ही रिमझिम बारिश में महिलाओं ने गाय बछड़े को बुलाकर उनकी पूजा-अर्चना कर अपने पुत्रों के स्वस्थ्य जीवन व लंबी उम्र की कामना की प्रार्थना कर परिक्रमा कर आशीर्वाद मांगा।