दोपहर 3 बजे बाद पानी भी नहीं पीती, डॉक्टरों ने बताया स्वस्थ
इंदौर। उन्हें लोग चाय वाली म. सा. कहते हैं। रामबाग दादावाड़ी में 18 वर्ष से निवासरत साध्वी विमलयशा ने 39 वर्षों से अन्न का एक दाना नहीं खाया। वे दिन में सिर्फ दो कप चाय पीती हैं। अचरज की बात है कि बावजूद इसके वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। 62 वर्ष की आयु में भी उन्हें किसी तरह की शारीरिक बीमारी नहीं है। यहां तक चाय से लोग अक्सर एसिडिटी होने की शिकायत करते हैं, लेकिन साध्वी विमलयशा को कभी इसकी भी शिकायत नहीं हुई
खरतरगच्छ श्री संघ की विमलयशा श्रीजी मसा इसे संकल्प की शक्ति का चमत्कार बताती हैं। वे सुबह 7.30 बजे और 11.30 से दोपहर 12 बजे के बीच दो कप चाय लेती हैं। पानी भी दोपहर 3 बजे बाद नहीं पीती। वे कहती हैं कि संयम, त्याग ही जीवन का सबसे बड़ा संकल्प है। हमारा जीवन तो त्यागमयी है। साधु जीवन है, जितना त्याग करेंगे उतना ही आगे बढ़ेंगे। जब मन में कुछ खाने की लालसा रहती है, तब कठिन होता है। मन भटकता तो है, लेकिन भटकते मन को रोकना भी अपने हाथ में होता है। जब तक मन नहीं मानता तब तक कोई कार्य नहीं होता है और जब मन मान जाता है तो कठिन काम भी सध जाते हैं।
62 साल की उम्र में भी पूरी तरह स्वस्थ्य
खरतरगच्छ श्री संघ के प्रचार सचिव योगेंद्र सांड ने बताया कि इस अनूठे तप के कारण ही उनकी ख्याति चाय वाली म.सा. के नाम से हैं। उन्होंने 14 मई 1975 को अक्षय तृतीया पर दीक्षा ली थी। साध्वी जी का मेडिकल चेकअप करने वाले चेस्ट फिजिशियन डॉ. रूपेश मोदी कहते हैं वे 62 वर्ष की आयु में भी पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्हें कोई बीमारी नहीं है। यह हैरानी की बात है कि वे पूरा दिन सिर्फ दो कप चाय पर बिताती हैं, फिर भी दिनभर ऊर्जावान रहती हैं। प्रवचन देने, विहार करने से भी उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।