अस्पताल में मौसमी बीमारी के मरीजों में हो रहा इजाफा
सारंगपुर। कभी वर्षा, कभी धूप, कभी तेज गर्मी के साथ उमस भरे वातावरण से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। बड़ी संख्या में अस्पताल में मरीज पहुंच रहे हैं। निजी क्लीनिकों पर भी मौसमी बीमारियों के मरीजों की भीड़ लग रही है। मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या ही ज्यादा रही। डाक्टरों के अनुसार इन दिनों सबसे ज्यादा वायरल बुखार के मरीज अस्पतालों, निजी क्लीनिकों में पहुंचकर उपचार करा रहे हैं। अवकाश के दिनों को छोड़कर सिविल अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन आंकड़ा 400 से 500 के बीच पहुंच रहा है। अधिकांश मरीज दो या तीन दिन ही ठीक हो भी रहे हैं।
वायरल फीवर का असर
मौसमी बीमारी से हर परिवार ग्रसित हैं। कहीं एक दो सदस्य तो कहीं पूरा परिव ार खांस रहा है, सर्दी जुकाम और बुखार से पीड़ित हो रहे हैं। सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. मनीष चौहान का कहना है कि वायरल फीवर के मरीज सर्वाधिक रूप से आ रहे हैं। यह मौसम परिवर्तन के कारण हो रहा है। वायरल मरीजों को जल्दी आराम भी लग रहा है।
साधारण दवाई से हो रहे ठीक
पूर्व के दो वर्षों में कोरोना के कहर से डरे हुए लोग किसी को बुखार आने पर पूरा परिवार चिंतित हो जाता है। बुखार के साथ खांसी चलने लगे तो और चिंता बढ़ जाती है। इस कारण लोग अपने बीमार सदस्य को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। इससे भी अस्पतालों में मरीज ज्यादा नजर आ रहे हैं। मरीजों की जांच भी हो रही है। जांच में न तो यह बुखार मलेरिया निकल रहा है, न डेंगू और न ही टाइफाइड। ऐसे मरीजों को डॉक्टर साधारण एंटीबायोटिक और पेरासिटामोल से ही इलाज कर रहे हैं।
सावधानी पूरी रखना जरूरी
डॉ. चौहान का कहना है कि यह वायरल बुखार का समय है। मरीज बढ़ भी रहे हैं। इसलिए सभी को पूरी सावधानी रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि खांसते या छींकते समय मुंह व नाक को रुमाल से ढंक लें। मास्क लगाए रखें। इससे स्वयं और दूसरों की भी बचत होगी। पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा किया जाना लाभदायक होगा।
बच्चों पर जल्दी होता है असर
सिविल अस्पताल सारंगपुर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित यादव का कहना है कि इस मौसम में बच्चों पर जल्दी असर पड़ता है। उनके खानपान और कपडों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे कपड़े पहनाएं, जिससे धूप और मच्छरों से बचत हो पूरे बांह की शर्ट या टीशर्ट पहनाएं। एसी का इस्तेमाल न करें। बच्चों को ठंडा पानी न पीने दें। ये प्रयास बढ़ों और बच्चों को वायरल फीवर की चपेट में आने से बचा सकते हैं।
भीगने के बाद बदलें कपड़े
निजी क्लीनिक संचालिक करने वाले चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. कपिल राठौर ने कहा कि वर्षा के दौरान पानी में भीगने से बचें और यदि भीग भी जाते हैं तो घर पहुंचकर तुरंत कपड़ों को गर्म पानी से धुलकर स्वयं स्वच्छ पानी से नहाएं। अगर ज्यादा देर तक वर्षा के पानी में भींगे हुए कपड़े पहने रहे तो दानों के साथ खुजली होने का खतरा बढ़ जाता है।
अस्पताल के भर गए पलंग
मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि सिविल अस्पताल में पूरे पलंग भरे हुए हैं। इसलिए सावधानी रखना ही समझदारी है। मौसम में बदलाव का असर एक माह तक रहने की संभावना डाक्टर बता रहे हैं।