… तो मध्यप्रदेश में इस तरह खत्म होगी बेरोजगारी..! कागजी आंकड़ों से पूरी होगी शिवराज की तमन्ना?
फर्जी सील-सर्टिफिकेट दिखाकर 10 संस्थाओं ने 19000 युवाओं को कागजों में करवा दी ट्रेनिंग
इंदौर/ भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार रोजगार बढ़ाने की बात कर रहे हैं। दो दिन पहले शिवराज के ही एक मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा इंदौर में यहां तक कह चुके हैं कि आने वाले 2 साल के बाद मध्य प्रदेश में बेरोजगारी ही खत्म हो जाएगी, परंतु उस नौकरशाही की लापरवाही या भ्रष्टाचार का क्या करें जो सरकार की इस तमन्ना को सिर्फ कागजी आंकड़ों के आधार पर पेश कर रही है। अहम सवाल यही है कि क्या इस तरह मध्य प्रदेश से खत्म होगी बेरोजगारी?
मप्र में 17.50 करोड़ रु. बजट वाली 50,000 युवाओं की एक ट्रेनिंग स्कीम में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। केंद्र के जल जीवन मिशन योजना के तहत 50 हजार युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण देना था। मप्र राज्य कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड को इसका जिम्मा मिला। बोर्ड ने 14 संस्थाओं को ट्रेनिंग देने के लिए 8.50 करोड़ रु. का काम सौंपा। इनमें से 10 संस्थाओं के पास सवा छह करोड़ रु. का काम था।
इन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र और सील बनाकर पहले काम हासिल किया। फिर कागजों में कुछ मृतक और ओवरएज सहित करीब 19 हजार लोगों को ट्रेनिंग देना बता दिया। मई में शिकायतें मिलीं तो बोर्ड ने जांच बैठाई। पेमेंट से पहले ही जांच में पता चला कि इन संस्थाओं ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया।
फिलहाल 29 जून 2022 को सभी संस्थाओं के संचालकों को बोर्ड ने नोटिस भेजे हैं। इसमें बताया गया है कि यह फर्जीवाड़ा भादवि की धारा 471, 463, 464 की श्रेणी में आता है। आप 7 दिन में इस पर जवाब दें। जवाब आए, लेकिन बोर्ड इससे संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिए दोबारा नोटिस भेजे गए हैं। सवाल यही है कि जिम्मेदार अफसर उस वक्त क्या कर रहे थे जब इन संस्थानों को यह जिम्मेदारियां दी गई थी? नियमानुसार उनके अनुभव तथा फिजिकल वेरीफिकेशन क्यों नहीं किया गया या फिर यह भी कागजों पर ही यह दर्शा दिया गया?