भोपाल में अब स्याही छपे कागज पर समोसा-कचौड़ी बेचने पर रोक
ब्रह्मास्त्र भोपाल
पोहा समोसा और जलेबी लोगों का सबसे पसंदीदा नाश्ता बना हुआ है। यहीं कारण है कि सुबह से लेकर शाम तक दुकानों पर लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती है, लेकिन अब आपके इस पसंदीदा नाश्ते को लेकर बड़ी घोषणा कर दी गई है। दरअसल राजधानी भोपाल में अब नाश्ता परोसने में एक बड़ा बदलाव कर दिया गया है। यह बदलाव इसलिए किया गया है कि अब अखबार यानी पेपर में पोहा, समोसा और जलेबी परोस कर नहीं देंगे। भोपाल में अब स्याही से छपे कागज में खाने-पीने के व्यंजन देने पर पूरी तरह रोक रहेगी।
अब तक शहर में अखबारी कागज पर समोसा, कचौरी, पोहा, जलेबी समेत अन्य खाद्य सामग्री परोसे जा रहे थे। यह स्?वास्?थ्?य के लिए नुकसानदेह है। ‘ईट राइट चैलेंज-2’ के तहत कलेक्टर अविनाश लवानिया ने स्याही से छपे सभी प्रकार के कागज, पत्रिकाएं, किताबें आदि में भोजन, नाश्ता और अन्य खाद्य सामग्री देने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
‘ईट राइट चैलेंज-2’ के तहत शहर में स्याही से छपे कागज में खाना देने को लेकर बोलो ना-ना नाम का अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा नगर निगम कर्मचारियों के सहयोग से चलाया जाएगा। शुरूआत में जहां भी ठेले, होटल, रेस्टोरेंट, ढाबों में स्याही से छपे कागज में खाना और नाश्ता दिया जाएगा, वहां पहुंचकर उसे टीम द्वारा रोका जाएगा। इसके साथ ही होटलों और खोमचों में उक्त अभियान से संबंधित पोस्टर व पैम्फलेट भी लगाए जाएंगे। साथ ही संचालक से शपथ पत्र लिया जाएगा कि वह अब से स्याही छपे कागज में व्?यंजन नहीं देगा।
होटल, ढाबे व अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों को स्याही से छपे कागज की जगह पत्तों से बने दोनो, बिना स्याही वाले कागज, प्लेट आदि में भोजन और नाश्ता परोसने के लिए कहा जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि स्याही वाले कागज शरीर के लिए कितना नुकसानदेह है इस भोजन खाने से हमारा स्?वास्?थ्?य खराब हो सकता है। इसके अलावा उन्हें यह भी सलाह दी जाएगी कि वे इसका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए न करें।