बहुत शातिर ठगोरी निकली फर्जी एसडीएम – रिश्तेदारों के नंबर अफसर के नाम से सेव कर लोगों को देती थी झांसा
इंदौर। आवेदकों को प्रभावित करने के लिए फर्जी एसडीएम नीलम पाराशर रिश्तेदारों के मोबाइल नंबर प्रशासनिक अफसरों के नाम से सेव करती थी। शील्ड के साथ फोटो खिंचवाकर इंटरनेट मीडिया पर बने ग्रुप में साझा भी करती थी। पुलिस ने सराफा बाजार के रत्नश्री ज्वेलर्स के संचालक सत्यनारायण गर्ग की शिकायत पर नीलम पर चौथा केस दर्ज किया है। गर्ग से नीलम साढ़े चार लाख रुपये के जेवर ले गई और सिर्फ ढाई लाख रुपये चुकाए।
अपराध शाखा के एडीसीपी गुरुप्रसाद पाराशर के मुताबिक नीलम और उसके पति से पूछताछ चल रही है। वह कुछ आवेदकों को नियुक्ति पत्र देने के बाद हर महीने वेतन भी देती थी। वेतन देने के लिए नौलखा स्थित एमपी आनलाइन सेंटर जाती थी। संचालक पंकज जैन नीलम के बताए खातों में रुपये जमा करवा देता था। मंगलवार को टीम ने छापा मारा तो जैन ने बताया कि वह खुद नीलम को असली एसडीएम समझता था। नीलम ने शासकीय पत्र दिखाकर कहा था कि सिस्टम में गड़बड़ी के कारण महिला एवं बाल विकास, पीडब्ल्यूडी और आंगनवाड़ी में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन जमा नहीं हो रहा है।
इसके बाद टीम एमजी रोड स्थित एक फोटो कापी की दुकान में पहुंची और आवेदकों के कार्ड जब्त किए। दुकान संचालक ने बताया कि नीलम ने कलेक्टर कार्यालय से जारी अनुमति पत्र दिखाकर कार्ड बनवाए थे। पुलिस दुकानदारों को भी गवाह बना रही है। एडीसीपी के मुताबिक नीलम से अभी तक 15 नियुक्ति पत्र, 10 आइडी कार्ड, दो कारें जब्त हो चुकी हैं। दो बैंक खाते सीज करवाने के लिए बैंक को पत्र लिखा गया है।
नाम देख कर चौंके पुलिस अफसर
नीलम के मोबाइल की जांच की तो एसडीएम, एडीएम और अन्य प्रशासनिक अफसरों के नाम से सेव नंबर मिले। पूछताछ में बताया कि वह झांसेबाजी के लिए रिश्तेदारों के नंबर प्रशासनिक अफसरों के नाम से सेव कर लेती थी। आवेदकों के सामने ही काल कर बताती थी कि उसके अफसरों से दोस्ताना संबंध हैं।