मां की भक्ति के साथ डाडिया उत्सव ने मन मोहा
सुसनेर। दो वर्षाे के कोविड काल बीते बुरे दिनों के बाद एक बार फिर से नवरात्रि में गरबा उत्सव के नये नये रंग देखने को मिल रहे है। भारतीय लोक परम्परा के रंग ऐसे है जो किसी शाही उत्सव में कम प्रतित नही होते। इनके रंगो में माटी की सुगंध तो घुली ही है साथ ही इसमें आने वाली श्रृद्धालु एवं ईश्वर की धुनी भी इसमें समाई हुई है। ईश्वर के इसी रूप मॉ दुर्गा की झाकी गरबा उत्सव के दौरान दिखाई दी।श्रीराम मंदिर धर्मशाला में मिहला मंडल के तत्वाधान में चल रहे नवरात्रि के पर गरबा उत्सव की बुधवार की रात्रि में शुरूआत हुई। भाजपा मंडल महामंत्री डॉ गजेन्द्र सिंह चन्द्रावत,सांसद प्रतिनिधी मुकेश हरदेनिया,पार्षद प्रदीप सोनी,भाजपा मंडल महामंत्री पवन शर्मा,पार्षद प्रतिनिधी युगल परमार,राजेन्द्र जैन गुडडा,राजेश जागीदार,महिला मंडल अर्चना जोशी एवं इन्द्रा गर्ग के द्ववारा जहा मां की आरती के बाद गरबे की शुरूआत की गई तो गुजराती तथा राजस्थानी परम्परा में मां की भक्ति की बयार चल पडी। जिसमें प्रतिभागी उत्साह के साथ झुमते नजर आए। मां भगवती की भक्ति, गुजराती गीतो की ध्ून ओर सतरंगी रोशनी के बीच श्रीराम मंदिर परिसर गूंज उठा।
ओढनी तारा बिना श्याम जैसे गुजराती धुनो पर आयोजित हो रहे गरबे ने सबका मन मोह लिया है। मालवी,फिल्मी गीत संगीत के साथ जब गुजराती धुनो व बोल पर आधारित गीतो पर युवतिया गरबा करती है तो पूरा पाडाल जैसे गुजराती रंग में रंगा नजर आता है।
इसी पव्रकार नगर से करीब 2 किलोमीटर दूर सुसनेर- जीरापुर मार्ग पर स्थित ग्राम नांदना के अतिप्राचीन प्रसिद्ध लाल माता मंदिर में नवरात्रि महापर्व में दूर-दूर से भक्त दशर्न करने के लिए पहुच रहे है। जिसमें दिल्ली, इन्दौर, उज्जैन, राजगढ, जीरापुर, खिलचीपुर सहीत कई अन्य जगहो के भक्त शामिल है। ईंट और मिटटी से बने एक कच्चे कमरे का यह मंदिर जीर्णोद्धार के बाद अब विशाल रूप धारण कर चुका है। मंदिर परिसर में वेदी निर्माण के बाद 31 फिट ऊंचे शिखर का निर्माण किया गया है। तथा 101 एलईडी लाईट स्थाई तौर पर लगाई गई है जो आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। यह सारा कार्य जनसहयोग से किया गया है। यह मंदिर कितना पुराना है इसके बारे मे न तो किसी को जानकारी है ओर नही इसका कोई प्रमाण है। ग्राम के बुजुर्ग भी इस मंदिर को कई वर्षो पुराना बताते है। मंदिर के पुजारी बालू यादव के अनुसार उनकी तीन पीढीया इस मंदिर में पूजा करती आ रही हैै। पंडित गोपाल बैरागी के अनुसार मंदिर अतिप्राचीन होकर सार्वजनिक हैं। जो एक विशाल नीम के वृक्ष के नीचे कच्चे मकान के रूप में बना हुआ था। जिसका जीर्णोद्धार का कार्य जनसहयोग से किया जा रहा है। जीर्णोद्धार के दौरान मंदिर के समीप निवास करने वाले ग्रामीणो ने अपने जगह भी स्वेच्छा से मंदिर के लिए छोड दी है। जिससे मंदिर परिसर काफी बड गया है। मंदिर में दो देवीया लाल माता और चण्डी माता विपरीत स्वरूप में विराजमान है। एक ब्रह्माणी रूप में तो दुसरी रौद्र रूप धारण किए हुए है। लाल माता के इस मंदिर से कई चमत्कारीक घटनाएं भी जुडी हुई है। कहां जाता है कि सच्चे मन से माता के दर्शन करने वाले श्रृद्धालु को यहां से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। यहां आने वाले श्रृद्धालुआें की मातारानी मनोकामनाएं पुरी करती है। नवरात्रि के दौरान माता का आकर्षक श्रृंगार के साथ महाआरती व अन्य धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जा रहा है।
अकोदिया मंडी
नवरात्री पर्व की षुरूआत घट स्थापना के साथ अब नगर में जगह जगह गरबा के पांडाल सज गए है। जाटपुरा स्थित मां अन्नपूर्ण के दरबार में समिति के सदस्ययों के द्वारा सौकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिती में मां अन्नपूर्ण की आरती एवं प्रसादी वितरण के साथ देवी रूपी कन्यों एवं युवतीयों द्वारा मनमोहक गरबे किए जा रहे है। मां के दर्षन व गरबा देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है।