अब तक का अनूठा, अद्भूत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय, अनिर्वचनीय शतावधान प्रयोग
महिदपुर। सिद्धचक्र भगवान की असीम कृपा एवं प.पू.साध्वी मुक्तिप्रिया श्रीजी म.सा. के आशीष से प.पू.साध्वी मृदुप्रियाश्रीजी म.सा. एवं शिवमप्रिया श्रीजी की पावन निश्रा में साध्वी युगादिप्रियाश्रीजी म.सा. का प्रथम शतावधानी प्रयोग सभी को अपनी आंखों से देखने पर सहसा विश्वास नहीं हो पा रहा था। तात्पर्य शतावधान 100 प्रश्नों को यथा क्रम दोहराना।
तत्पश्चात साध्वीजी भगवंत एक साथ सारे प्रश्न दोहराएं। शतावधान के पांचों अक्षरों का क्रम क्रमश: शुद्धता, तत्वता, विनयता, धर्मता, नम्रता सहित। जवाहर गली स्थित श्री शांतिनाथ आराधना भवन में प्रात: ठीक 9 बजे से प्रारंभ होकर 10.30 बजे तक यह प्रयोग अनवरत चलता रहा। इस समयावधि में आने-जाने पर दृढतापूर्वक रोक रही। साथ ही मोबाइल, आवाजाही, शोर-शराबे बंद। महिदपुर नगर की धर्म पुण्यधरा पर साध्वी त्रिमूर्ति के अपने समूह से अलग प्रथम चातुर्मास में सबसे कम उम्र की, सबसे कम दीक्षा पर्याय वाली साध्वी ने इस अनुपम प्रयोग से एक इतिहास कायम किया जिसकी सभी ने अनुमोदना, भूरी-भूरी सराहना की। एक मंजा मंजाया खिलाड़ी जादूगर भी इस जादू की कल्पना नहीं कर सकता। साहित्य भूषण विभूषित, जैनेन्द्र खेमसरा ने अपने उद्बोधन में इस चमत्कार को शब्दों में परिभाषित करने का यत्न किया पर उन्होने खुद ही कहा कि इस आश्चर्यजनक आंखों देखे जादू के लिए मेरे शब्दकोश में कोई शब्द नहीं है।
वैज्ञानिक सत्य है कि इंसान अपने मस्तिष्क का 9 प्रतिशत भी प्रयोग नहीं करता है। पत्रकार जवाहर डोसी ह्यपीयूषह्ण ने कहा कि हम तो दाख, काजू, बादाम और ब्राह्मी जैसी जड़ी बुटियों का सेवन स्मरण शक्ति बढ़ाने में करते है, इसके बावजूद भी इसके 5 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच पाते। महिदपुर नगर की धर्मधरा धन्य हुई आज आपकी इस विलक्षण प्रतिभा को देखकर। सुश्रावक बाबूलाल आंचलिया ने शतावधानी अल्पवय साध्वीजी की उपमा से सम्मान करने की बात कही। श्री तपागच्छ जैन श्री संघ, मालवा महासंघ, नागेश्वर तीर्थ पेढ़ी एवं अन्य श्री संघों के माध्यम से श्री संघ अध्यक्ष अंकुर भटेवरा ने इस आश्चर्यजनक प्रयोग पर अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में राजेश रुनवाल, रमेशचन्द्र कोचर, विशाल कोचर, ललित गार्डी, प्रवीण नासकावाला आदि का सहयोग रहा। इस अवसर पर कु.श्रेया जैन का विशिष्ट योगदान के लिए सम्मान किया गया।