टैक्स का विरोध : प्रदेश में कल से हड़ताल पर 150 जिनिंग फैक्ट्रियां
मप्र में कपास पर शुल्क 1.70%, गुजरात में सिर्फ 0.25%
इंदौर। उदार टेक्सटाइल पॉलिसी के चलते कपड़े के क्षेत्र में नए निवेश पाने में मप्र ने गुजरात और महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन कपड़े और परिधान बनाने के लिए कच्चे माल यानी कपास में इन दोनों पड़ोसी राज्यों की तुलना में 3 से 7 गुना मंडी टैक्स लग रहा है। मप्र में कुल मंडी टैक्स 1.50% और 0.20% बांग्ला शरणार्थियों की मदद के लिए निराश्रित टैक्स भी लगता है। दूसरे राज्यों में यह खत्म हो चुका है।
गौरतलब है कि इंदौर संभाग के खंडवा, खरगोन सहित प्रदेश में कई जगह कपास की खेती बड़े स्तर पर होती है।
मप्र में कुल 1.70% मंडी टैक्स लग रहा है। गुजरात में यह मंडी शुल्क 0.25% और महाराष्ट्र में 0.5% है। इसके चलते बड़े पैमाने पर कपास की गांठें बनाने वाली जिनिंग फैक्ट्रियां मंगलवार 11 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहीं हैं। यह घोषणा मध्यांचल कॉटन जीनर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन ने की है। मप्र में 150 जिनिंग फैक्ट्रियां और 200 मंडी व्यापारी हैं। एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष मंजीत सिंह चावला ने बताया कि गुजरात-महाराष्ट्र में एक गांठ पर करीब 100 रुपए मंडी टैक्स लगता है, जबकि मप्र में 600 रुपए। इसलिए किसानों को अच्छे भाव की चाह में गुजरात और महाराष्ट्र जाकर कपास बेचना पड़ता है।
मप्र में कुल 25 लाख गठानों जितना उत्पादन होता है, लेकिन मंडियों में कपास केवल 18-19 लाख गठान तक ही आता है। संस्था के अध्यक्ष विनोद जैन कहते हैं, मंडी टैक्स ज्यादा होने के कारण जिनिंग फैक्ट्रियां भी महाराष्ट्र और गुजरात जा रहीं हैं। जैन ने कहा कि सरकार 60 करोड़ रुपए के टैक्स के लिए 1500 करोड़ रुपए के उद्योग को खत्म कर रही है।