शिवराज अपने मंत्रियों पर ध्यान दें , सिंहस्थ के लिए लगेगी अतिरिक्त जमीन
जूना अखाड़े के श्रीमहंत आनंद पुरी जी महाराज का बड़ा बयान
शिप्रा के आसपास के क्षेत्र को रखा जाए आरक्षित, साधु संत बिगड़ गए तो फिर…
उज्जैन। जूना अखाड़े के श्रीमहंत आनंद पुरी जी महाराज ने बयान महतवपूर्ण बयान दिया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अपने मंत्रियों का ध्यान रखें। सिंहस्थ 2028 में लगेगी अतिरिक्त जमीन। शिप्रा के आसपास के क्षेत्र को रखा जाए आरक्षित।
श्री महंत जी ने कहा कि उज्जैन तो उज्जैन है, इसमें क्या रणनीति बनाना है। पूरे ब्रह्माण्ड का मध्य भारत और भारत का मध्य प्रदेश और मध्य प्रदेश का मध्य उज्जैन। यहां मृत्यु लोक के दाता महाकाल विराजमान होते हैं। कुछ लोग हैं यहां पर जो अनैतिक कार्य कर रहे हैं। स्वार्थ के लिए अपनी जमीन को जो बेचने के उद्देश्य से गलत काम कर रहे हैं। जो सिंहस्थ क्षेत्र की सुरक्षित जमीन है, उसे आवासीय करना चाहते हैं। जो गलत है। सिंहस्थ क्षेत्र आरक्षित था , आरक्षित है और आरक्षित रहेगा। उसके लिए हरिद्वार में अखाड़ा परिषद की मीटिंग होगी। उसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात करेंगे। 2016 में उन्होंने सिंहस्थ सफलतापूर्वक करवाया था। आने वाले सिंहस्थ में और जमीन चाहिए होगी। आवासीय होने पर यह मकान, होटल बना देंगे। शिप्रा अशुद्ध हो जाएगी। खान नदी का गंदा पानी शिप्रा में मिलता है। उज्जैन में जो विकास होता है वह सिंहस्थ के कारण ही होता है। उज्जैन में पैसा लगाना बहुत मुश्किल काम है। यहां पर बहुत खराब टाइप के नेता लोग हैं। यह सरकारी फायदा जो होता है वह सिंहस्थ से ही होता है। बाबाओं से ही होता है और बाबा लोग महाकाल दर्शन के लिए आते हैं। इनकी जमीन आरक्षित है और आरक्षित ही रहना चाहिए। मास्टर प्लान जो चल रहा है वह गलत चल रहा है। अखाड़ा परिषद खुद आगे आएगा। मुख्यमंत्री से बात की जाएगी कि आप सिंहस्थ से खिलवाड़ कर रहे हैं। परंपराओं का निर्वहन करें। साधु संत का कामकाज है बिगड़ गए तो फिर साधु अवज्ञा करें मन माही, जले नगर अनाथ की माही जैसा काम वाला काम हो जाएगा। शिवराज सिंह अपने मंत्रियों के कार्यों पर ध्यान दें। जो उचित हो वही करना चाहिए। जो मास्टर प्लान का काम चलना चाहिए वह तो चल नहीं रहा है। महाकाल पर 11 मकान तोड़ने पर पसीना आ गया है। जो हमारी आरक्षित जमीन पड़ी है बाबाओं की उस पर कब्जा करना चाहते हैं। यहां यह बना दो, वहां वह बना दो। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। जो जैसा काम चल रहा था उसे वैसा ही चलने दें।
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