यूरिया का नहीं आया स्टॉक, किसान को लगाना पड़ रहे चक्कर
उज्जैन। गेहूं और चने की फसल की बोवनी किसानों ने शुरू कर दी है। बोवनी के साथ ही किसान यूरिया के लिये कृषि मंडी और सहकारी समितियों के साथ गैर सरकारी दुकानों के चक्कर लगाने लगे है। लेकिन स्टॉक नहीं आने से उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है।
दीपावली से पहले खेतों में खड़ी सोयाबीन की कटाई का काम पूरा हो गया था। अब खेतों में किसानों ने गेहूं और चने की बोवनी शुरू कर दी है। अक्टूबर माह के प्रथम दो सप्ताह तक हुई बारिश के चलते खेतों में नमी बनी हुई थी, जिसके चलते अधिकांश किसान बोवनी कर चुके हैं। अब उन्हें नवम्बर माह के अंत तक यूरिया की जरूरत होगी। जिसके चलते अभी से किसानों ने यूरिया के लिये मशक्कत करना शुरू कर दिया। लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से होने वाले यूरिया अलॉटमेंट में देरी होने से किसानों की परेशानी बढ़ने लगी है। जिसके चलते उन्हें कृषि उपज मंडी के साथ सहकारी समितियों के चक्कर लगाना पड़ रहे है। सूत्रों की माने तो जिले में 60 हजार टन यूरिया की आवश्यकता होती है। सितंबर अक्टूबर तक 25-30 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति हो पाई है। करीब एक माह से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। नवम्बर अंत तक आपूर्ति होना मुश्किल नजर आ रहा है। पूर्व में हुई आपूर्ति को बड़े किसानों द्वारा एकत्रित कर लिया गया है। जिसके चलते अब छोटे किसानों को परेशानी उठाना पड़ रही है। कलेक्टर और कृषि विभाग के अधिकारियों को अभी से किसानों की परेशानी को समझना होगा, नहीं तो नवम्बर माह में यूरिया की आपूर्ति नहीं होने पर किसानों का आक्रोश फूट सकता है। पिछले वर्ष ने देखा गया था कि किसानों ने यूरिया नहीं मिलने पर टॉवर चौक स्थित विपणन कार्यालय का घेराव कर तालाबंदी कर दी थी।