सुप्रीम कोर्ट में जाकर पता लगा कि फांसी की सजा प्राप्त आरोपी नाबालिग
दुष्कर्म व एक बच्ची का हत्यारा, पुलिस की बहुत बड़ी चूक, अब सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
इंदौर। हत्या और दुष्कर्म के एक मामले की जांच में बड़ी चूक सामने आई है। पुलिस ने आरोपी को 19 साल का बताकर केस चलाया। जिला कोर्ट से फांसी की सजा सुनाई गई, हाई कोर्ट ने भी उसे बरकरार रखा। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां स्कूल के दस्तावेज पेश किए गए। कोर्ट द्वारा कराई जांच में पता चला कि घटना के समय आरोपी की उम्र 15 साल 5 माह ही थी।
मनावर में 15 दिसंबर 2017 को दुष्कर्म के बाद एक बच्ची की हत्या कर दी गई थी। अभियुक्त को 17 मई 2018 को फांसी की सजा सुनाई गई। पुलिस ने अभियुक्त की उम्र की तस्दीक किए बगैर उसे आम अपराधियों की तरह पेश कर दिया। चूंकि आयु को लेकर कोई सवाल था ही नहीं, इसलिए हाई कोर्ट ने भी फांसी को यथावत रखा।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तब आरोपी की ओर से उम्र का सवाल उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मनावर के अपर सत्र न्यायालय को सही उम्र पता करने के निर्देश दिए। अपर सत्र न्यायाधीश भूपेंद्र नकवाल की रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि घटना के वक्त आरोपी नाबालिग था।
वकील अमित दुबे व साक्षी जैन के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू हुई तो पता चला कि घटना के बाद पुलिस उसके स्कूल गई थी। उम्र के प्रमाण भी लिए, लेकिन कोर्ट में पेश नहीं किए। एडीजे नकवाल की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेज दी गई है। अब शीर्ष अदालत ही सजा व उम्र के मसले पर फैसला देगी।
पुलिस ने क्यों छुपाई उम्र..?
इस मामले में बड़ा सवाल यही है कि आखिर पुलिस ने अभियुक्त की आयु संबंधी प्रमाण कोर्ट में क्यों नहीं रखे और गलत उम्र बता केस क्यों चलाया। विशेषज्ञों काे आशंका है कि चूंकि मामला बहुत उछला था। पूरे प्रदेश में लोगों में रोष था। हो सकता है, इसी दबाव में पुलिस ने इस तथ्य को छुपाया हो।
गलती से पिता के नाम अलग-अलग दर्ज थे दस्तावेजों में
जांच के दौरान पता चला कि अभियुक्त के पिता का नाम स्कूल और अन्य स्थानों पर अलग-अलग लिखा हुआ था। जांच में खुलासा हुआ कि नाम गलत लिखा था, लेकिन व्यक्ति एक ही था।