उज्जैन जनपत की निर्वाचन प्रकिया वैद्य-न्यायालय
उज्जैन जनपत की निर्वाचन प्रकिया वैद्य-न्यायालय
उज्जैन/ भाजपा ने उज्जैन जनपद के चुनाव हारने के बाद न्यायालय में शरण ली थी। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई में यह निर्णय लिया है कि उज्जैन जनपद की चुनाव प्रक्रिया वैध थी। इस फैसले के बाद यह तय हो गया है कि अब कांग्रेसका ही अध्यक्ष जनपद में रहेगा।
उज्जैन जनपद के चुनाव में कुल 25 वोट थे। जिसमें भाजपा के 13 और कांग्रेस के 12 वोट थे। इस तरह भाजपा का पलड़ा भारी था। भाजपा ने इस चुनाव की कमान प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के हाथ दी थी। मतदान प्रक्रिया के यह पहले ही प्रशासन ने अधिसूचना जारी कर दी थी और समय का भी उल्लेख किसने किया था। भाजपा की ओर से चार प्राक्शी वोटों का प्रावधान किया गया था। पंचायत के नियमों के अनुसार प्राक्शी वोट उसे डालने का अधिकार है जिसके साथ वोटर का खून का रिश्ता हो। भाजपा ने जरूर अपनी ओर से कोरोना बीमारी का लाभ उठाते हुए प्राक्शी मतदाता को सही इसलिए ठहराया की वोटर को कोरोना बीमारी हुई है इसलिए वोट डालने नहीं आ सकता। उस समय सदन में उपस्थित एसडीएम जगदीश मे हरे और एडीएम ने प्राक्शी मतदान पर अपनी आपत्ति जाहिर की और भाजपा के प्राक्शी सदस्यों को सदन में आने से रोका। इस पर भाजपा ने भारी हंगामा खड़ा किया। जबकि भाजपा के 9 सदस्य और कांग्रेस के 13 सदस्य उस समय सदन में उपस्थित थे। सदन में मतदान की प्रक्रिया संपन्न कराई गई जिसमें कांग्रेस की उम्मीदवार विद्या कुंवर पति देवेंद्र सिंह पवार ग्राम पिपलोदा को अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया साथ ही जनपद उपाध्यक्ष के पद पर ग्राम दताना के नासिर पटेल को निर्वाचित घोषित किया गया। चुनाव प्रक्रिया संपन्न होते ही भाजपा ने बेहद हंगामा मचाया और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव वहीं धरने पर बैठ गए और यह मांग की कि चुनाव प्रक्रिया को पुनः कराया जाए। जबकि प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव प्रक्रिया सही है और इसे ही वैध माना जाएगा। जनपद पंचायत के इस चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनता हुआ देख इस प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए जनपद पंचायत उज्जैन की चुनाव प्रक्रिया को सही ठहराया। इस तरह जनपद में कांग्रेस का कब्जा न्यायालय ने बरकरार रखा। कांग्रेस की ओर से इस मामले में अधिवक्ता अजय बागड़िया ने पैरवी की।