अपसंस्कृति का प्रचार रोकने में संचार माध्यम सचेत होकर करें हस्तक्षेप
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने राष्ट्र निर्माण और मीडिया विषय पर किया परिसंवाद
इंदौर। दिन में ऐसा कार्य न करें कि रात में अच्छी नींद न आए और रात की चर्चा ऐसी हो कि दिन में आंख मिलाकर बात कर सकें। मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता वही है जो अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को ध्यान में रखकर काम करे। सही अर्थों में पत्रकारिता वही है जो लोगों को शांति और संतुष्टि देती है। राष्ट्र निर्माण में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए संचार माध्यमों को बहुत सजग और सचेत होकर समाज में अपसंस्कृति के प्रचार को रोकने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।
यह बात महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने राष्ट्र निर्माण और मीडिया विषय पर कही। उन्होंने कहा कि संचार माध्यम जन शिक्षा का सबसे बड़ा माध्यम है। मूल्यों से समृद्ध हमारी भारतीय प्राचीन परंपरा रही है। उसी राह पर चल मनुष्यों को मूल्यों से जोड़ेंगे तो राष्ट्र सशक्त बनेगा। भौतिक समृद्धि के साथ आध्यात्मिक उपलब्धियां उन्नात राष्ट्र निर्माण में बाधक नहीं, साधक बनें।
परिसंवाद में अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने कहा कि लोगों ने मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने का मान दिया है। हमें उस शुचिता की मर्यादा की चिंता करनी चाहिए।
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मीडिया निभाए मानवीय मूल्यों को स्थापित करने की जिम्मेदारी
इंदौर जोन की मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व मीडिया ने राष्ट्र निर्माण एवं देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत जनजागृति का कार्य किया। आज मीडिया लोगों को सूचित करने, शिक्षित करने के साथ-साथ सामाजिक, पारिवारिक, मानवीय मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की जिम्मेदार निभाए तो भारत पुन: विश्व गुरु बन जाएगा। ब्रह्माकुमारीज मीडिया प्रभाग के राष्ट्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमार शांतनु भाई ने कहा कि भारत की परंपरा ही लोक मंगल की रही है। समाधानपरक पत्रकारिता से राष्ट्र समृद्ध होगा। ब्रह्माकुमार कोमल ने कहा कि जिस प्रकार एक तीली जलाने से अंधकार समाप्त होकर रोशनी हो जाती है।