बिनोद मिल के जिंदा श्रमिकों का बकाया पैसा मिल रहा लेकिन मृत मजदूरों का पैसा क्यों नहीं मिल रहा
ब्रह्मास्त्र उज्जैन
बिनोद मिल के श्रमिकों का बकाया पैसा मिलने लगा है। लेकिन मृत हुए मजदूरों का पैसा बाद में देने की बात की जा रही है। जो कि सर्वथा अनुचित है। जबकि इन मजदूरों को बकाया पैसे का 15प्रतिशत पहले ही दे चुके हैं। फिर शेष बचे पैसे में देरी क्यों?
मिल के कर्मचारी माधव सिंह तोमर उम्र के 80 वर्ष पूरे कर चुके हैं लेकिन अभी भी वही जोश है। उनका मानना है कि जिंदा मजदूरों को तो पैसा दिया जा रहा है लेकिन जो मृतक हो चुके हैं मजदूर उनका पैसा भी शीघ्र क्यों नहीं दिया जा रहा। जबकि वर्ष 2009 में इन मजदूरों का 15प्रतिशत पैसा दिया जा चुका है। श्री तोमर ने बताया कि जब पहले ही पैसा दिया जा चुका है इसका मतलब है कि कागज पूरे कंप्लीट है। फिर व्यर्थ में कागजों के लिए देरी क्यों की जा रही है। अभी तक बंद पड़े मिलकर करीब 4हजार मजदूरों का पैसा बाकी है जिसमें से दो हजार के लगभग तो मर चुके हैं। मृत् हुए मजदूरों के परिवार को अब तक 15प्रतिशत बकाया पैसा मिल चुका है फिर से राशि में देर क्यों की जा रही है। श्री तोमर का कहना है कि वास्तविक आवश्यकता तो मृत हुए परिजनों के परिवार को है क्योंकि परिवार की महिलाएं इधर-उधर घरों में बर्तन मांजने घूम रही हैं या बेटियों की शादी भी उन्हें करना है। श्री तोमर ने बताया कि 6 माह में सभी को पैसा देने का वादा किया गया था लेकिन अभी तक इनमें से जो जिंदा हैं उन्हें मात्र 9सौ श्रमिकों को ही पेमेंट मिला है। शेष मजदूर अभी बाकी है।
कागजों के नाम पर व्यर्थ में देरी क्यों
बंद पड़े मिल के लिक्विडेटर स्टॉप बढ़ाकर मजदूरों की बकाया राशि शीघ्र दे सकते हैं। लेकिन सबसे पहले मृत हुए मजदूरों के परिजनों को पैसा मिलना चाहिए। क्योंकि मजदूरों को जब बकाए का 15प्रतिशत पैसा दिया जा रहा था उस समय पूरे कागज मंगाए गए थे। अब पुनः कागजों के नाम पर व्यर्थ में देरी क्यों की जा रही है। श्री तोमर ने बताया कि वर्ष 2011 में उन्हें 15प्रतिशत और 2 प्रतिशत मिलाकर कुल 17प्रतिशत की राशि दी जा चुकी थी और अब शेष बकाया राशि भी मिल चुकी है। मिल के कर्मचारियों को और मजदूरों को उनका पैसा जरूर मिल रहा है लेकिन देरी से मिल रहा है साथ ही मृत मजदूरों का पैसा भी पहले ही मिलना चाहिए।