खुर्राट कलम- ↔️ -योगेंद्र जोशी
कमल दद्दा! तुमसे ना हो पाएगो
कमल दद्दा तुम भी, बस ! का फोकट की बात करत हो । कछु भी कह देत हो। अब आप का कह रहे कि “मैं संघ, भाजपा, विश्व हिंदू परिषद को चुनौती देता हूं कि वे श्री राहुल गांधी से हिंदू धर्म के विषय में शास्त्रार्थ कर ले। का बात करत हो? राहुल बाबा से कौन से जनम का बदला ले रहे हो? कमल दद्दा का तुम जानत नहीं हो कि संघ , भाजपा और विश्व हिंदू परिषद में एक से एक खुर्राट पड़े हैं। बिन को एक नेता बंद हॉल में बोलत है और 2-4 हजार जनता चुपचाप सांस रोककर सुनत है। तब इतनी शांति होत है कि एक आवाज के अलावा दूसरी आवाज भी ना आत है। सुंई गिरा दो, आवाज भी ना आवेगी। वे लोग गीता, रामायण, हिंदू धरम, यहां तक कि “तुम्हरे धरम” पर भी बोलत हैं। सारे धरम पर बोलत हैं। एक से एक ज्ञान के भंडारी हैं। आप! राहुल बाबा से हिंदू धरम में शास्त्रार्थ की बात करत हो, जा अच्छी बात ना है। अबऊ की तो बात है। हमऊ याद है जब तुमने पंडित जी के सामने अपनो दुखड़ो रोयो थो, कि 7 दिन से मर रहे हैं। ठीक है दद्दा! मानत है कि राहुल जी की यात्रा में आपको खानो- पीनो ऐशो आराम सब हराम हो गओ। जा को बदला ले रहे हो का ..? तुम जानत ना हो कभी कोई ने भी चुनौती ले ली तो राहुल बाबा आपको ही पनौती समझेंगे। उधर तुमने चुनौती दई और इधर विश्वास “सारंगी” बजाने लगे। ऐसे बहुत लोग हैं जो सिर आएंगे। फिर मत कहियो, बताओ ना थो। ऐसो मत करो दद्दा, जा में तुम्हरी और राहुल बबुआ की जग हंसाई हो। जा बदला लेने की नीयत अब छोड़ दो। दद्दा ! हमें एक बात समझ में ना आई। अगर शास्त्रार्थ करनो ही है तो आप खुद काहे नहीं ..? आपने भी तो पिछले चुनाव में खूब हनुमान भक्त होने की बात कही थी। हम तो निगोड़े वह मंगलवार- शनिवार ही ढूंढत रही , जब आप और आपके बंदे सुंदरकांड का पाठ कर रहे थे , हमरी जा समझ में ना आ रही है कि आजकल मंगलवार, शनिवार आ नहीं रहे हैं या सुंदरकांड की पोथी अलमारी में बंद कर दी है। हम तुम्हरी भक्ति पर अंगुली नहीं उठा रहे हैं। हम लोगन को कहने को जो मतलब है कि अब राम को भजन करो। राम जी में मन नहीं रमे है, तो हनुमान जी को भजन करो। वह भी अच्छो नहीं लगे हैं तो कोई बात ना, कम से कम राहुल बाबा को परेशान तो मत करो। बिन के लिए तो दिल्ली दूर है पर, वह तुम्हरी खातिर 6-7 राज्य कूद फांद के मध्यप्रदेश आए। कभी चमचमाती कार में फर्राटे भरत थे। जा देश से परदेस तक हवा में उड़त थे। अब पैदल हो गए हैं! वह महीने तक चलने को तैयार हैं और तुम हो कि 7 दिन में ही थककर रो पड़े। उम्र को तकाजो है। तुम प्रदेश के मुखिया रहे हो जाकी खातिर चिंता है। घर बैठ जाओ। आराम करो। का है दद्दा, जो मध्यप्रदेश है। हिंदुस्तान को हृदय प्रदेश। जा में दिल से काम करनो पड़त है। तुम्हरे पास से 22 नेतन निकलकर कह गए थे कि दिल तो तुम्हरे पास ना है..! मुखिया बनते ही मंत्री तक को भगा देत थे।
देखो दद्दा! …का है कि अगले साल चुनाव है। अबऊ तुम 7 दिन में थकने और मर रहे की बात करोगे तो वो अध्यक्ष जी, नए – नए हैं, तो जोश भी नयो है। हमने सुनी है कि वह कह रहे हैं कि जो लोग जिम्मेदारी निभाने में असक्षम हैं, उन्हें नए साथियों को मौका देना पड़ेगा। अध्यक्ष जी कछु एक्शन वेक्शन ले बैठे तो फिर मत कहियो कि हमने समझाओ ना थो। तो ऐसो है दद्दा, अपनी इज्जत अपने हाथ। देखो दद्दा ! हमऊ न तो कांग्रेस से मतलब है, न भाजपा से, पर सच को का करें? वो ससुरो हमरे दिल में फुदक- फुदक जात है। हमरी बातन दिल पर लीजो, बुरा मत मानजो, बुरो लग ही जाए, तो दो रोटी सिकी हुई ( राजनीतिक रोटी मत सेंकना ) ज्यादा खा लीजो। बाकी कही- सुनी माफ। जय रामजी की।