कथा मनुष्य के जीवन को सुधारती एवं उसमें परिवर्तन लाती – प. शर्मा
बड़नगर । कथा में जब बेठे हो तो संसार, व्यवहार, के विचारो को मन से निकाल दो व सोचो की मे अपने कृष्ण के चरणो में बेठा हु ऐसी भावना रखो।
उपरोक्त उदगार चल रहे गीता जयंती महोत्सव के समापन दिवस पर पण्डीत जगदीश चन्द्र शर्मा ने गीता भवन मे व्यास पीठ से कही। गीता भवन के ट्रस्टी एवं सदस्य के द्वारा प. शर्मा का शाल, श्रीफल, साफा पहना कर सम्मान किया गया। कथा के प्रारंभ में सस्था अध्यक्ष हरिकिशन मेलवाणी ने गीता जयंती के अवसर पर गीता भवन संबंधी वर्ष भर की जानकारी बताई। सनावद से आये प. राजेन्द्र शर्मा ने गीता के उपर अपनी बात रखी प. शर्मा ने आगे प्रवचन में कहा कि सेनिक सीमा पर देश की सेवा करता हैं। यह उसका धर्म हैं पुजा पाठ ही धर्म कर्म नही होता हैं। पत्रं, पुप्पं, फलमं की व्याख्या करते हुए कहा पत्र का मतलब रूकमणी के द्वारा लिखा गया पत्र, जो आज भी द्वारका में आरती वक्त पंगतीया पढ़ी जाती हैं और पुष्प भगवान को प्रिय होते हैं, फल के बारे में बताते हुए कहा की हमारे जीवन में जितने भी सद कर्म किये हैं। वह भगवान को समर्पित करो यह फल का मतलब हैं । गीता जयंती के समापन के अवसर पर जरूरत मंद गरीब, विकलांग, असहाय, महिलाओ को नवीन साडीया वितरण की गई। साथ ही कथा श्रवण करने आये साधु संत, फकिर एवं विकलांग वृद्धो को कम्बल नि:शुल्क वितरण किये गये। उषा पण्डया ने अपने भाई कि स्मृति में साडीया वितरण की। कथा में चन्द्रप्रकाश नागर, विनोद मकवाना, विराग मिश्रा, डॉ. विवेक शास्त्री, डॉ. जी.एल. ददरवाल, मनोहरलाल शर्मा, विजय यादव, डॉ. मोडीराम दोराया, प्रेमनारायण पोरवाल, डॉ. विनोद शास्त्री, वीरेन्द्रसिंह आजाद, औमप्रकाश गेहलोद, शांतिलाल मकवाना, रमेश राठोड, सुनिता भाटी, आदि सेकडो कि संख्या मे श्रद्धालुगण उपस्थीत थें कार्यक्रम का संचालन ट्रस्टी विनोद मकवाना ने किया।