मप्र में स्कूली शिक्षा का बदलेगा स्वरूप–

अब शिक्षकों का नया अंदाज, बच्चों को भी पढ़ने में आएगा मजा

दूसरी तक बस्ता, तो पांचवीं तक किताबें भी जरूरी नहीं

भोपाल। नए सत्र से प्रदेश के स्कूलों का माहौल बदला-बदला होगा। छोटे बच्चों को किताबों और बस्तों के बोझ से मुक्ति दिलाते हुए रोचक अंदाज में शिक्षा दी जाएगी। यही नहीं आंगनबाड़ी से ही अक्षरज्ञान पर जोर दिया जाएगा। वर्तमान में कम शिक्षित कार्यकर्ता ही बच्चों से रूबरू होती हैं। शिक्षक भी इस नए अंदाज में पढ़ाएंगे। बच्चों को पढ़ने में मजा आएगा और वह खुद स्कूल के लिए प्रति आकर्षित होंगे।
अब इनमें अधिक पढ़े-लिखे शिक्षकों की भर्ती की जाएगी जो पहले तीन साल बच्चों की शिक्षा का आधार मजबूत करेंगे। इतना ही नहीं पहली-दूसरी कक्षा भी बस्ताविहीन रहेंगी। प्राथमिक कक्षाओं की किताबें शिक्षकों के लिए छपेंगी, जो विद्यार्थियों को किस्से-कहानियों से शिक्षित करेंगे। तीसरी से पांचवीं तक भी किताबें अनिवार्य नहीं रहेंगी।